मुंबई , नवम्बर 24 -- सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने जल, थल और वायु सेनाओं में बेहतर तालमेल को सशस्त्र बलों की असली ताकत करार देते हुए कहा है कि भविष्य के युद्ध एक साथ तीनों रणक्षेत्रों में लड़े जाएंगे और ऑपरेशन सिंदूर सेनाओं के बीच एकीकरण का शानदार उदाहरण है। जनरल द्विवेदी ने सोमवार को मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में देश में ही विकसित और डिजाइन पनडुब्बी रोधी युद्धपोत आईएनएस माहे को नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि आईएनएस माहे का नौसेना के बेड़े में शामिल होना न सिर्फ़ नौसेना की ताकत को बढाता है बल्कि यह स्वदेशी प्रौद्योगिकी के बल पर जटिल युद्धपोत को डिज़ाइन करने, बनाने और फील्ड में उतारने की भारत की बढ़ती क्षमता को भी दिखाता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस जहाज़ के शामिल होने से भारतीय नौसेना की समुद्र में दबदबा बढाने, तटीय सुरक्षा ग्रिड को मज़बूत करने और तटीय इलाकों में भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने की क्षमता में काफ़ी बढ़ोतरी होगी। तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण पर बल देते हुए उन्होंने कहा , " सशस्त्र बलों की ताकत ज़मीन, समुद्र और हवा में तालमेल में है, और भविष्य के संघर्ष कई तरह के क्षेत्रों में होंगे और इसके लिए एकजुट राष्ट्रीय प्रयास की ज़रूरत होगी।" ऑपरेशन सिंदूर को मिलकर काम करने का एक मॉडल बताते हुए उन्होंने दुनिया भर में मानवीय सहायता अभियानों और पानी तथा ज़मीन पर ऑपरेशन में सेना तथा नौसेना की की लंबे समय से चली आ रही साझेदारी पर भी ज़ोर दिया। नौसेना की पश्चिमी कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की मेजबानी में हुए समारोह की अध्यक्षता जनरल द्विवेदी ने की। इसमें नौसेना तथा कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी और कई अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।
इस युद्धपोत का नाम मालाबार तट पर बसे ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर रखा गया है। शहर की समुद्री विरासत और शांत नदी का किनारा जहाज की शान और ताकत के संतुलन को दिखाता है।
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, कोच्चि द्वारा डिज़ाइन और बनाया गया आईएनएस माहे अपनी श्रेणी के आठ युद्धपोतों में पहला है और इसे बनाने में बीईएल, एल एंड टी डिफेंस, महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स, एनपीओएल और 20 से ज़्यादा लघु, मध्यम और सूक्ष्म इकाइयों ने योगदान दिया है। इस परियोजना से देश का नेवल डिज़ाइन, उपकरण और सिस्टम इंटीग्रेशन का इकोसिस्टम मजबूत हुआ है। अस्सी प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना आईएनएस माहे आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।
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