बीकानेर, सितम्बर 30 -- केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कोई अपनी मातृभाषा में बात रखें तो उसकी तर्क क्षमता में 30 प्रतिशत तक वृद्धि होती है।

श्री मेघवाल ने मंगलवार को राजस्थान में बीकानेर के राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी और दिवंगत भगवान दास किराडू नवीन समिति की ओर से आयोजित परिचर्चा 'राजस्थानी भाषा: शैक्षणिक और आर्थिक विकास' को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर देश और राज्य में सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। कला, संस्कृति, साहित्य और पुरातत्व विभाग द्वारा इसके तहत पूरे पखवाड़े कार्यक्रम आयोजित करना अच्छा कदम है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी और दूसरी भाषाओं के विकास पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में यह सामने आया कि मातृभाषा में तर्क करने वाले अपनी बात और अधिक बेहतर तरीके से रख सकता है।

श्री मेघवाल ने कहा कि राजस्थानी का भविष्य बेहतर है। मातृ भाषा के विकास के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री से भी चर्चा की है। आने वाले तीन चार महीनों में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार और 'जागती जोत' के सम्पादक मधु आचार्य ने कहा कि जिन राज्यों ने अपने बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में दिलाई, वे राज्य अधिक गति से आगे बढ़े। राजस्थान को भी इस दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अकादमी की मासिक पत्रिका जागती जोत का प्रकाशन नियमित कर दिया गया है। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े के दौरान आयोजित गतिविधियों की जानकारी दी और स्वागत उद्बोधन दिया। नगेंद्र किराडू ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित ने किया।

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