नई दिल्ली, सितंबर 26 -- उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर फर्जी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए शीर्ष माओवादी कमांडर कथा रामचंद्र रेड्डी का शव सुरक्षित रखने का शुक्रवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मृतक के बेटे राजा चंद्रा की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
कथा रामचंद्र रेड्डी और कादरी सत्यनारायण रेड्डी 22 सितंबर को हुई पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।
पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता राजा चंद्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि उनके पिता को कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया और एक फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस शव को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रही है।
छत्तीसगढ़ पुलिस का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि मुठभेड़ में दो लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता पर सात राज्यों द्वारा सात करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था।
पीठ को बताया गया कि इसी मुठभेड़ में मारे गए एक माओवादी का शव उसके परिवार को दे दिया गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि याचिकाकर्ता के पिता का शव अस्पताल में सुरक्षित रखा था।
पीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक उच्च न्यायालय फर्जी मुठभेड़ और यातना का आरोप लगाने वाली याचिका पर फैसला नहीं सुना देता, तब तक शव को न तो दफनाया जाए और न ही जलाया जाए।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से दुर्गा पूजा की छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई फिर से शुरू करने को कहा।
पीठ ने सभी दलीलों को खुला छोड़ते हुए और गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना कहा, "जब तक उच्च न्यायालय याचिका पर फैसला नहीं सुना देता, तब तक शव का अंतिम संस्कार/दफन नहीं किया जाएगा।"सॉलिसिटर जनरल मेहता ने दलील दी कि पोस्टमार्टम वीडियो रिकॉर्डिंग के तहत किया गया था और पुलिस पर किसी भी तरह की दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने इन निर्देशों के साथ याचिका का निपटारा कर दिया।
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