पटना, सितंबर 30 -- बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची को अंतिम रूप से प्रकाशित कर उसे सार्वजनिक कर दिया है।
अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद इसकी प्रति राज्य के छह राष्ट्रीय दलों और 12 राज्य स्तरीय दलों के प्रतिनिधियों को सभी 38 जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारियों ने आयोग के निर्देश पर मुहैया करा दी है।
राज्यस्तर पर जिन छह राष्ट्रीय दलों के प्रतिनिधियों को अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची की प्रति उपलब्ध कराई गयी है उनमें आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया- मार्क्सवादी, कांग्रेस और इंडियन नेशनल पार्टी के नाम शामिल हैं।
इसके साथ- साथ आयोग के निर्देश पर 12 राज्य स्तरीय पार्टियां जैसे राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी- लेनिनवादी), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को भी अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची की प्रति सौंप दी गयी है।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण कराया गया। इस प्रक्रिया के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाये गये, जिसको लेकर राज्य के राजनीतिक दलों में जबरदस्त प्रतिक्रिया और टकराव देखने को मिला था।
राष्ट्रीय जनता दल ने आरोप लगाया था कि एसआईआर के नाम पर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाये और जांच की मांग की थी। कांग्रेस ने इसे वोट चोरी बताया और कहा कि यह मतदाता घोटाले का प्रयास है। पार्टी ने आरोप भी लगाया कि यह प्रक्रिया राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को फायदा पहुंचाने के लिये किया गया एक प्रयास है।
वहीँ वाम दलों ने इस प्रक्रिया को गरीब और मेहनतकश तबकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से वंचित करने की साजिश बताया था और पार्टी नेताओं ने आयोग से हटाये गये नामों की जांच और पुनर्समीक्षा की मांग की थी।
उधर राज्य में सत्तारुढ़ जनता दल यूनाइटेड ने इस मुद्दे का सावधानीपूर्ण समर्थन किया और कहा कि यह एक नियमित प्रक्रिया है जो हर चुनाव से पहले होती है। साथ ही पार्टी ने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति का नाम गलत तरीके से हटाया गया है, तो उसके लिये दावा और आपत्ति का मौका भी उपलब्ध है। वहीँ, भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रक्रिया का सीधे- सीधे समर्थन किया और प्रक्रिया को चुनाव आयोग का संवैधानिक अधिकार बताया और विपक्ष पर 'राजनीतिक नौटंकी' करने का आरोप लगाया था।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित