, Dec. 26 -- ।वर्ष 1981 में फारूख शेख के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ..उमराव जान ..प्रदर्शित हुयी। मिर्जा हादी रूसवा के मशहूर उर्दू उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने नवाब सुल्तान का किरदार निभाया जो उमराव जान से प्यार करता है। अपने इस किरदार को फारूख शेख ने इतनी संजीदगी से निभाया कि सिने दर्शक आज भी उसे भूल नहीं पाये हैं। इस फिल्म के सदाबहार गीत आज भी दर्शकों औरश्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

ख्य्याम के संगीत निर्देशन में आशा भोंसले की मदभरी आवाज में रचा बसा गीत ..इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं.. दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए.. आज भी श्रोताओं के बीच शिद्दत के साथ सुने जाते हैं। इस फिल्म के लिए आशा भोंसले को अपने कैरियर का पहला राष्ट्रीय पुरस्कार और खय्याम को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।वर्ष 1981 में फारूख शेख के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म ..चश्मेबद्दूर ..प्रदर्शित हुयी। सइ परांजपे निर्देशित इस फिल्म में फारूख शेख के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म से पहले उनके बारे में यह धारणा थी कि वह केवल संजीदा भूमिकाएं निभाने में ही सक्षम है लेकिन इस फिल्म उन्होंनेे अपने जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया।

वर्ष 1982 में फारूख शेख के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ..बाजार ..प्रदर्शित हुयी। सागर सरहदी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उनके सामने कला फिल्मों के दिग्गज स्मिता पाटिल और नसीरूद्दीन शाह जैसे अभिनेता थे । इसके बावजूद वह अपने किरदार के जरिये दर्शको का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे।वर्ष 1983 में फारूख शेख को एक बार फिर से सई परांजपे की फिल्म ..कथा ..में काम करने का अवसर मिला। फिल्म की कहानी में आधुनिक कछुये और खरगोश के बीच रेस की लड़ाई को दिखाया गया था। इसमें फारूख शेख ने खरगोश की भूमिका में दिखाई दिये जबकि नसीरूद्दीन शाह कछुये की भूमिका में थे। इस फिल्म में फारूख शेख ने कुछ हद तक नकारात्मक किरदार निभाया। इसके बावजूद वह दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।

वर्ष 1987 में प्रदर्शित फिल्म ..बीबी हो तो ऐसी .. नायक के रूप में फारूख शेख के सिने कैरियर की अंतिम फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री रेखा के साथ काम किया। नब्बे के दशक में उन्होंने अच्छी भूमिकाएं नहीं मिलने पर फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। नब्बे 90 के दशक में फारूख शेख ने दर्शकों की पसंद को देखते हुये छोटे पर्दे का भी रूख किया और कई धारावाहिकों में हास्य अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया। इन सबके साथ ही ..जीना इसी का नाम है ..में बतौर होस्ट उन्होंने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। वर्ष 1997 में प्रदर्शित फिल्म ..मोहब्बत ..के बाद उन्होंने ने लगभग दस वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया ।

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