नयी दिल्ली , दिसंबर 19 -- कांग्रेस ने कहा है कि मनरेगा को खत्म कर सरकार ने संसद में जिस वीबी जी राम जी विधेयक को जबरदस्ती पारित कराया है उसका पहला और सीधा असर गरीब, दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़ों पर होगा और इसका दूसरा असर राज्यों की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस विधेयक से जहां समाज के कमजोर वर्गों के लोगों का हक मारा जाएगा वहीं राज्यों की आर्थिक स्थिति पर इसका गहरा असर पड़ेगा। इस विधेयक में 60 प्रतिशत केंद्र का पैसा होगा जबकि 40 प्रतिशत राज्यों का रहेगा। हिमालयी राज्यों के लिए 90 प्रतिशत हिस्सा केंद्र से जारी किया जाएगा।
श्री रमेश ने कहा कि वीबी जीरामजी जन विरोधी कानून है और इसका सीधा असर समाज के हर कमजोर तबके पर पड़ेगा इसलिए कांग्रेस इसके खिलाफ अभियान शुरु करेगी और यह अभियान पूरे देश में चलाया जाएगा। जिन लोगों पर इस कानून का असर होना तय है उनके साथ कांग्रेस इस जन विरोधी कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी। कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कार्य समिति की 27 दिसंबर को बैठक होने वाली है और उसमें व्यापक रणनीति पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कहां और कैसे रोजगार श्रमिकों को मिलेगा यह केंद्र सरकार को तय करना है। सारा जिम्मा केंद्र का होगा। इस विधेयक के जरिए जिस तरह केंद्रीयकरण किया गया है यह अभूतपूर्व है। मनरेगा का काम पंचायतों को मजबूत करना तथा गांव का विकास और गांव के लोगों का कल्याण करना था लेकिन अब इसका पूरा दायित्व केंद्र ही निभाएगा। इस योजना का बुनियादी चरित्र बदल दिया गया है और इसमें जो कानूनी हक श्रमिकों को दिया गया था उसे खत्म कर दिया गया है। पहले सूचना के अधिकार कानून को खत्म किया गया और अब मनरेगा को खत्म कर दिया गया है। उनका कहना था कि आने वाले समय में वन अधिकार कानून खत्म होगा और फिर भूमि अधिग्रहण खत्म होगा और फिर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना पर निशाना साधा जाएगा और उसको भी एक रणनीति के तहत पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।
श्री रमेश ने कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार ने मनरेगा पर बुल्डोजर चलाया है और भाजपा के कई सांसद इसके पक्ष में नहीं थे और इस विधेयक का उन्होंने मन से समर्थन नहीं किया। खुलकर वे सामने नहीं आ सकते लेकिन उन्हें सरकार की मनरेगा को बदलने की नीति अच्छी नहीं लगी। आखिर सरकार को इस विधेयक को लाने से पहले इस पर सबके साथ विचार करने में दिक्कत क्या थी और जब विथेयक ला ही दिया था तो उसे संसद की समिति क्यों नहीं भेजा गया। उन्होंने सरकार से पूछा कि वह बताए कि उसने किस राज्य के मुख्यमंत्री के साथ इसको लेकर बात की है।
उन्होंने कहा कि 15 दिन के शीतकालीन सत्र को पूरी तरह से बुल्डोज किया गया है, लोकतंत्र की हत्या हुई और इतिहास को तोड़ा मरोड़ा गया है और महापुरुषों का अपमान हुआ है। डेढ माह बाद बजट सत्र होगा जो लंबा चलेगा और उसमें भी सरकार ऐसे ही कुछ अचानक कोई विधेयक ला सकती है लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है और इस पर सरकार को झुकना पड़ेगा। जिस तरह से सरकार किसानों के खिलाफ लाये गये कानून को वापस करने को मजबूर हुई है उसी तरह से इसमें उसे मजबूर किया जाएगा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 27 दिसंबर को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होनी है और इस बैठक में इस वीबी रामजी विधेयक को लेकर रणनीति पर विचार किया जाएगा। उनका कहना था कि कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा मुद्दा है और इस पर ठोस रणनीति बनाना कांग्रेस की जिम्मेदारी हो गयी है। इस कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा क्योंकि यह विधेयक गरीब विरोधी, कमजोर लोगों के खिलाफ और समाज विरोधी है और सरकार इसके विरोध में पूरे देश में अभियान चलाएगी।
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