लखनऊ , दिसंबर 24 -- केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के ज्ञान भारतम मिशन तथा उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग के बीच मध्य भारत की पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने एमओयू को लेकर कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सांस्कृतिक दृष्टि के अनुरूप किया गया है। इसका उद्देश्य राज्य और देश की प्राचीन पांडुलिपियों एवं ज्ञान परंपरा का संरक्षण कर उन्हें आधुनिक तकनीक के माध्यम से सुरक्षित रखना है।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश वेदों, उपनिषदों, संतों और महापुरुषों की भूमि है। प्रदेश के मंदिरों, मठों, पुस्तकालयों, विश्वविद्यालयों तथा निजी संग्रहों में बड़ी संख्या में बहुमूल्य पांडुलिपियाँ विद्यमान हैं। इस एमओयू के अंतर्गत इन पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, सूचीकरण, संरक्षण, डिजिटलीकरण, अनुवाद और शोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह पहल सरकार की "विरासत से विकास" की नीति के अनुरूप है, जिससे शिक्षा, शोध, संस्कृति और पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा। पांडुलिपियों को राष्ट्रीय डिजिटल भंडार से जोड़े जाने से वे देश-विदेश के विद्वानों और आम जनमानस के लिए सहज रूप से सुलभ हो सकेंगी। उन्होंने कहा, "हमारी सांस्कृतिक विरासत केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि भविष्य के लिए मार्गदर्शक है। परंपरागत ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़कर हम इसे सुरक्षित कर रहे हैं।"वही प्रमुख सचिव, संस्कृति एवं पर्यटन अमृत अभिजात ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से प्रदेश में पांडुलिपि संरक्षण से जुड़े कार्यों को एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक ढांचा प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि एमओयू के माध्यम से सर्वेक्षण, संरक्षण और डिजिटलीकरण का कार्य पारदर्शी एवं सुनियोजित ढंग से किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि इससे विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों को राज्य की समृद्ध ज्ञान परंपरा से जुड़ने का अवसर मिलेगा तथा उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान प्राप्त होगी। इस समझौते के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार को नोडल विभाग बनाया गया है।
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