भोपाल , अक्टूबर 10 -- मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य डॉ. अवधेश प्रताप सिंह ने विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित प्रथम दृष्टया मानव अधिकार उल्लंघन के दस मामलों में संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों से दो सप्ताह में विस्तृत जवाब मांगा है।
आयोग द्वारा संज्ञान लिए गए मामलों में राजधानी भोपाल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में भर्ती प्रक्रिया में हजारों उम्मीदवारों के साथ अमानवीय बर्ताव। खुले आसमान के नीचे सोने और घंटों धूप में खड़े रहने को मजबूर उम्मीदवारों के लिए आयोग ने कलेक्टर भोपाल और नगर निगम आयुक्त से कार्यवाही का प्रतिवेदन मांगा है। वही भोपाल के सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, जर्जर भवन और अनुपयुक्त शौचालय व्यवस्था का मामला। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय से जांच रिपोर्ट मांगी गई है। जबकि शिवाजी नगर, भोपाल में फुटपाथ पर गिरने वाले बुजुर्ग की सवा घंटे देर से 108 एंबुलेंस आने की घटना। कलेक्टर भोपाल से विलंब और लापरवाही के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई।
वही भोपाल के बाजारों में मिलावटी मावा और मिठाई के बिक्री का मामला, जहां खाद्य सुरक्षा प्रशासन की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कलेक्टर और जिला खाद्य अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई।
जबकि शहडोल के सरकारी अस्पताल में सॉल्यूशन से मरीजों की त्वचा जलने और फफोले पड़ने की घटना, जिसमें प्रसूताओं को विशेष तकलीफ। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शहडोल से रिपोर्ट मांगी गई।
इसी के साथ छतरपुर जिले के बिजावर नगर में खुले में घूमते गोवंश से दुर्घटना और गंदगी की समस्या। कलेक्टर छतरपुर से कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी गई। तो शिवपुरी जिले के तालाब में दो बच्चों की डूबने से मृत्यु। कलेक्टर शिवपुरी से मृतक बच्चों के उत्तराधिकारियों को आर्थिक सहायता देने की रिपोर्ट मांगी गई। वही खंडवा जिले में फसल बर्बाद होने से किसान की आत्महत्या। कलेक्टर खंडवा से मृतक किसान के उत्तराधिकारियों को आर्थिक सहायता देने की रिपोर्ट मांगी गई।
धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में लिफ्ट टूटने से एक मजदूर की मृत्यु। कलेक्टर धार से मृतक के उत्तराधिकारियों को सहायता देने की रिपोर्ट मांगी गई।तो खंडवा के बाल संप्रेषण गृह से छह बाल अपचारी के फरार होने का मामला। कलेक्टर खंडवा से कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी गई।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दो सप्ताह के भीतर सभी मामलों की जांच कर आयोग को विस्तृत रिपोर्ट सौंपें। आयोग ने कहा है कि इन घटनाओं में मानवाधिकारों का उल्लंघन होने की प्रथम दृष्टया संभावना है और उचित कार्रवाई के लिए जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है।
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