नैनीताल , दिसंबर 24 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को क्षेत्रीय वनाधिकारियों की बेहिसाब संपत्ति के आरोपों और मसूरी वन प्रभाग से 7,375 वन सीमा स्तंभों (पीलर) के कथित रूप से गायब होने के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किए हैं।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मसूरी वन प्रभाग में 7,000 से ज़्यादा पीलरों के गायब होने के बारे में नरेश चौधरी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने कहा कि इन महत्वपूर्ण सीमांकन चिह्नों को जानबूझकर मिटाने से भारत के सबसे नाज़ुक और महत्वपूर्ण वन पारिस्थितिकी तंत्र में से एक में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण और पारिस्थितिक लूट का रास्ता खुल गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यह आकस्मिक नहीं हुआ है बल्कि यह वनाधिकारियों, राजनीतिज्ञों और भूमि माफियाओं के गठजोड़ का नतीजा है।"अधिवक्ता बंसल ने यह भी बताया कि वन विभाग की आंतरिक रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि करती है कि 7,375 सीमा स्तंभ ज़मीन से गायब हैं, जिनमें से ज़्यादातर व्यावसायिक रूप से फायदेमंद मसूरी और रायपुर रेंज से गायब हुए हैं। याचिका में बताया गया कि इससे वन क्षेत्र का नुकसान हुआ है और भूस्खलन का खतरा बढ़ा है।
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