लखनऊ , अक्टूबर 12 -- उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग के चेयरमैन एवं पूर्व मंत्री डॉ. सी.पी. राय ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून को कमजोर कर भ्रष्टाचार और घोटालों पर पर्दा डालने का काम किया है।
श्री राय ने कहा कि 2005 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने जिस आरटीआई कानून को पारदर्शी शासन और जवाबदेही के उद्देश्य से लागू किया था, उसे मौजूदा सरकार ने जानबूझकर अप्रभावी बना दिया है।
यहां के नेहरू भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि आरटीआई नागरिकों को सशक्त बनाने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने का माध्यम था, जिसने आम लोगों को राशन, पेंशन, मजदूरी और छात्रवृत्ति जैसे अधिकार दिलाने में मदद की, लेकिन 2014 के बाद से इस कानून को निरंतर कमजोर किया गया। उन्होंने बताया कि 2019 के संशोधन से सूचना आयोगों की स्वतंत्रता खत्म हो गई, जबकि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम 2023 ने "व्यक्तिगत जानकारी" की परिभाषा इतनी व्यापक कर दी कि अब जनहित से जुड़ी सूचनाएं भी छिपाई जा सकती हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग में 11 में से केवल दो आयुक्त कार्यरत हैं और मुख्य आयुक्त का पद भी रिक्त है। देशभर में चार लाख से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित हैं, जो आरटीआई व्यवस्था की कमजोर स्थिति को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों के खर्च, पीएम केयर्स फंड और कोविड काल की मौतों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जानकारी देने से बच रही है।
डॉ. राय ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि शहला मसूद और सतीश शेट्टी जैसे कार्यकर्ताओं की हत्या इस बात का उदाहरण है कि सूचना मांगने वालों को किस खतरे का सामना करना पड़ता है। उन्होंने व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की भी मांग की, जो अभी तक ठंडे बस्ते में है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित