प्रयागराज , अक्टूबर 02 -- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में विजय दशमी के पावन अवसर पर शहीद वाल मैदान पर पारंपरिक रावण दहन के साथ-साथ भ्रष्टाचार और घूसखोरी के प्रतीक 10 सिर वाले रावण का पुतला जलाया गया। इस अनोखे आयोजन में स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा शामिल हुए। भ्रष्टाचार और घूसखोरी को समाज की सबसे बड़ी बुराइयों में गिनाते हुए आयोजकों ने कहा कि जब तक इस 'आधुनिक रावण' का अंत नहीं होगा, तब तक समाज में वास्तविक न्याय और समानता की स्थापना संभव नहीं है।पुतले के 10 सिर भ्रष्टाचार, घूसखोरी, काला धन, लालच, बेईमानी, भाई-भतीजावाद, लूट, टैक्स चोरी, घोटाला और अनैतिकता जैसे दोषों का प्रतीक थे।

लोगों ने नारे लगाते हुए इन बुराइयों को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया। इस मौके पर बच्चों और युवाओं ने रंग-बिरंगे पोस्टरों और बैनरों के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।आयोजन समिति के सदस्यों ने कहा कि जिस तरह त्रेतायुग में भगवान राम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था, उसी तरह आज के युग में नागरिकों को संगठित होकर भ्रष्टाचार और घूसखोरी जैसे रावण का दहन करना होगा। समाज के हर तबके की भागीदारी से ही यह संभव है।

शहीद वाल पर आयोजित इस पुतला दहन कार्यक्रम में देशभक्ति और सामाजिक सुधार से जुड़े गीत भी प्रस्तुत किए गए, जिससे माहौल और भी उत्साहपूर्ण हो गया। अंत में उपस्थित लोगों ने सामूहिक शपथ ली कि वे न तो भ्रष्टाचार करेंगे और न ही उसे बढ़ावा देंगे।विजय दशमी पर प्रयागराज से यह संदेश दिया गया कि रावण के केवल प्रतीकात्मक पुतले ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन की बुराइयों का भी अंत करना आवश्यक है। तभी समाज में अच्छाई और न्याय की सच्ची विजय सुनिश्चित हो सकेगी।

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