दुर्ग , अक्टूबर 01 -- छत्तीसगढ़ की टिवनसिटी भिलाई दुर्ग में कचरे का सही निष्पादन नही किए जाने से स्वच्छ शहर का सपना सिर्फ ख्वाबों में ही नजर आ रहा है। केंद्र की योजना के तहत जिस कचरे का सही निष्पादन करने के लिए एसएलआरएम सेंटर बनाए गए थे वो मात्र दिखावे तक ही नजर आ रहे है। यही वजह है कि भिलाई दुर्ग में कचरे का ढेर लगा हुआ है।

विकसित शहरों में शुमार भिलाई दुर्ग तेजी से अपने पांव पसार रहा है। लगातार बढ रहे शहर में कचरा भी उसी गति से निकल रहा है जिस गति से शहर आकार ले रहा है। करीब 18 लाख की आबादी वाले दुर्ग भिलाई में नगर निगम दुर्ग और भिलाई दोनों स्चच्छता को लेकर लापरवाह नजर आ रहे है। कचरे का सही निष्पादन नही किए जाने के कारण दोनों ही बडे ओर महत्वपूर्ण शहर में कचरे का अंबार लगता जा रहा है।

वही जिस कचरे का पृथकीकरण किया जाना था वो कार्य सिर्फ कागजों तक सिमट गया हैं । भिलाई और दुर्ग दोनों ही शहर के अधिकांश एसएलआरएम सेंटर सिर्फ दिखावे तक ही सीमित हो गए है। इसका खामियाजा आम शहरवासियों को भुगतना पड रहा है । आलम यह है कि शहर के अनेकों स्थानों पर कचरे का ढेर लगा हुआ है। वही कई स्थान ऐसे है जहां एनजीटी के नियमों को ताक पर रखते हुए कचरे को जलाया जा रहा है। जिसमें भारी भ्रष्टाचार नजर आ रहा है।

भारत सरकार की गाईडलाईन के अनुसार घरों से निकलने वाले कचरे का सही निष्पादन किया जाना है। इसके लिए एसएलआरएम सेंटर की स्थापना की गई है। लेकिन शहर के अधिकांश एसएलआरएम सेंटर बंद पड़े हुए है। कुछ चालू भी है तो वो सिर्फ दिखावे तक ही सीमित है। अधिकांश कचरा गली मोहल्लों में बिखर रहा है जिसे उठाने वाला और सही निष्पादन करने वाला कोई नही है।

दुर्ग शहर से प्रतिदिन 130 टन कचरा निकलता है । लेकिन इसके सही निष्पादन के लिए कोई व्यवस्था नही है। निगम के दावे के अनुसार वर्तमान में शहर में 10 एसएलआरएम सेंटर है। इनमें से 1 खराब है ऐसे में 9 सेंटरों में कचरे का निष्पादन किया जा रहा है। दुर्ग निगम के कुल 60 वार्डो से निकलने वाले कचरे के सही निषपादन के लिए हर वार्ड में 2 एसएलआरएम सेंटर का होना आवश्यक है । अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिर्फ 9 सेंटर में कार्य चल रहा कार्य कितने बेहतर तरीके से संचालित हो रहा होगा।

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