नयी दिल्ली, सितंबर 26 -- बाल अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले एक संगठन की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बाल विवाह की दर में ऐतिहासिक कमी दर्ज की गयी है और यह अन्य देशों के लिए एक उदाहरण है।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की रिपोर्ट, 'टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टूवर्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया' के अनुसार, देश में लड़कियों के वर्ग में बाल विवाह में 69 प्रतिशत और लड़कों में 72 प्रतिशत की कमी आई है। संगठन के अनुसार इस उपल्ब्धि में कानूनी उपायों ( गिरफ्तारी और पुलिस में प्राथमिकी) का भी एक बड़ा योगदान है।
यह रिपोर्ट गुरुवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के समानांतर एक कार्यक्रम में जारी की गयी। इसे जेआरसी के सहयोगी संगठन, इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के शोध प्रभाग, सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने तैयार किया है। जेआरसी, 250 से अधिक नागरिक समाज संगठनों का देश का सबसे बड़ा नेटवर्क है।
जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, "भारत बाल विवाह के खात्मे के कगार पर है। यह न केवल सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति है, बल्कि दुनिया के लिए इस क्षेत्र में कार्य का एक खाका है।"इस मामले में असम की उपलब्धियों को मान्यता देते हुए, जेआरसी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को 'चैंपियंस ऑफ चेंज' पुरस्कार से सम्मानित किया। रिपोर्ट के अनुसार, असम में लड़कियों में बाल विवाह में 84 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी। इसके बाद महाराष्ट्र और बिहार (70 प्रतिशत), राजस्थान (66 प्रतिशत), और कर्नाटक (55 प्रतिशत ) का स्थान है। यह प्रगति केंद्र और राज्य सरकारों तथा नागरिक समाज संगठनों के समन्वित प्रयासों का परिणाम है। सर्वे में 99 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्होंने गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), स्कूलों और पंचायतों के माध्यम से केन्द्र सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बारे में जानकारी प्राप्त की।
जेआरसी के जितेंद्र परमार ने कहा कि 2019-21 के दौरान भारत में हर मिनट तीन बाल विवाह होते थे, लेकिन प्रति दिन केवल तीन शिकायतें दर्ज होती थीं। आज स्थिति बदल चुकी है। सर्वे में शामिल 63 प्रतिशत लोग बाल विवाह की शिकायत करने में "काफी सहज" और 33 प्रतिशत "कुछ हद तक सहज" महसूस करते हैं।
संगठन ने वर्ष 2030 तक बाल विवाह समाप्त करने के लिए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान चला रखा है। उनका दावा है कि बिहार,महाराष्ट्र, राजस्थान और असम में संगठन स्कूलों के स्तर पर जागरूकता फैलाने में जन-जागरण अभियान को काफी सफलता मिली है।
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