नयी दिल्ली , अक्टूबर 10 -- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को आस्ट्रेलिया को सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत का सह-निर्माता बताते हुए रक्षा साजोसामान और प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए उसका स्वागत किया। रक्षा मंत्रालय ने यहां जारी एक बयान में यह जानकारी दी।
श्री सिंह ने यहां आयोजित भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा उद्योग व्यापार गोलमेज बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया क्वांटम सिस्टम, स्वचालित अंडरवाटर व्हीकल्स और उन्नत समुद्री निगरानी जैसी विशिष्ट तकनीकों में उत्कृष्ट है, जबकि भारत विशाल विनिर्माण पैमाने, सॉफ़्टवेयर क्षमताओं और जहाज निर्माण, मिसाइल तकनीक तथा अंतरिक्ष में स्वदेशी क्षमता प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि यह गोलमेज सम्मेलन हमारे रक्षा उद्योग सहयोग में अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए एक बड़ा उत्प्रेरक हो सकता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं और डिजिटल परिवर्तन जैसी पहलों ने नवाचार और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है। नीति गत सरलीकरण से रक्षा उत्पादन इको-सिस्टम को निरंतर आसान बनाया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों की प्रणोदन प्रौद्योगिकियों, स्वचालित जल-जल वाहनों, उड़ान सिमुलेटरों और उन्नत सामग्रियों सहित उच्च-स्तरीय प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि ये उद्यम दोनों देशों के रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप अंतर-संचालनीय प्लेटफ़ॉर्म बनाने में मदद कर सकते हैं।
साझेदारी के विशिष्ट क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि भारत अपनी मज़बूत जहाज निर्माण क्षमताओं, विविध विनिर्माण आधार और निजी क्षेत्र के नवप्रवर्तकों एवं स्टार्ट-अप्स के बढ़ते इको-सिस्टम के साथ, एक विश्वसनीय साझेदार बनने के लिए तैयार है।
श्री सिंह ने रक्षा सामान और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रस्ताव का भी स्वागत करते हुए भविष्य में मौजूद अपार अवसरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई और सहयोगी देशों के जहाजों के लिए भारत में नौसैनिक जहाजों और उप-प्रणालियों के सह-उत्पादन, जहाज मरम्मत, रीफिटिंग और एमआरओ सहायता, स्वायत्त प्रणालियों और हरित जहाज निर्माण प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के अपार अवसर मौजूद हैं।
श्री सिंह ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाकर, संयुक्त क्षमताओं का निर्माण करके और नवाचार में निवेश करके, दोनों देश एक उदार, सुरक्षित और आत्मनिर्भर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में योगदान दे सकते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी एक निर्णायक क्षण में है और रणनीतिक हितों का अभिसरण, उद्योगों की ऊर्जा और नेतृत्व की दूरदर्शिता के साथ मिलकर, दोनों देशों को भविष्य को एक साथ आकार देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
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