श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) , दिसंबर 24 -- भारत के भारी-भरकम रॉकेट एलवीएम3 ने अमेरिका के सबसे भारी उपग्रह ब्लूबर्ड-6 को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है जिससे भारतीय वैज्ञानिकों का हौसला बुलंद है और वे 2027 की पहली तिमाही में होने वाले गगनयान मिशन की सफलता पर नजरें टिकाए हुए हैं।
भारतीय अंतरिक्ष एवं शोध संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. वी नारायणन ने अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के संचार उपग्रह ब्लूबर्ड-6 के सफल प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वदेशी एलवीएम3 रॉकेट ने अपने लगातार नौवें सफल मिशन के साथ एक बार फिर अपना बेदाग रिकॉर्ड और विश्वसनीयता साबित कर दी है। उन्होंने कहा कि रॉकेट ने जिस सटीकता के साथ उपग्रह को स्थापित किया, वह अब तक की सबसे बेहतरीन उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि यह एलवीएम3 की नौवीं सफल उड़ान थी और इसकी सटीकता 100 प्रतिशत रही।
डॉ. नारायणन ने 1960 के दशक में उपग्रह प्रक्षेपण के लिए अमेरिकी प्रक्षेपण यानों पर निर्भर रहने के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक की यात्रा को याद करते हुए कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए सबसे भारी उपग्रहों को लॉन्च करके अपने अंतरिक्ष प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने कहा कि आज तक इसरो ने 34 देशों के 434 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया है, जिसमें एक ही मिशन में कई उपग्रह शामिल हैं। यहाँ शार रेंज से आज का यह 104वां प्रक्षेपण वैश्विक वाणिज्यिक अंतरिक्ष बाजार में भारत की स्थिति को और मजबूत करता है, साथ ही एक विश्वसनीय लॉन्च सेवा प्रदाता के रूप में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी प्रदर्शित करता है।
डॉ. नारायणन ने बताया कि तटीय थूथुकुडी जिले के कुलशेखरपट्टिनम में दूसरे 'स्पेसपोर्ट' का काम अच्छी तरह से चल रहा है और इसरो की नजर फरवरी-मार्च 2027 में पहले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) मिशन पर है। कुलशेखरपट्टिनम 'स्पेसपोर्ट' मुख्य रूप से एसएसएलवी लॉन्च के लिए होगा, जबकि श्रीहरिकोटा पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम रॉकेटों का उपयोग करने वाले अन्य सभी मिशनों के लिए प्राथमिक लॉन्च केंद्र बना रहेगा।
इसरो के अनुसार, यह 'स्पेसपोर्ट' निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ 500 किमी के दायरे में छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने की भारी मांग को देखते हुए मुख्य रूप से एसएसएलवी मिशनों को पूरा करेगा। एसएसएलवी 'नैनो', 'माइक्रो' और 'मिनी' उपग्रहों को ले जा सकता है।
एसएसएलवी 500 किमी की समतलीय कक्षा में 500 किलोग्राम तक वजन वाले एक उपग्रह को ले जा सकता है। यह 10 किलोग्राम से 300 किलोग्राम तक के तीन उपग्रहों को भी इसी कक्षा में ले जाने में सक्षम है। एसएसएलवी एक 3-चरणीय प्रक्षेपण यान है जिसमें तीन ठोस प्रणोदन चरण और टर्मिनल चरण के रूप में तरल प्रणोदन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) लगा है। इसका व्यास 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है।
एसएसएलवी की मुख्य विशेषताएं इसकी कम लागत, कम 'टर्न-अराउंड' समय, कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन इसकी मुख्य विशेषता है।
स्पेसपोर्ट का निर्माण तमिलनाडु के दक्षिण तटीय गांव कुलशेखरपट्टिनम में 2,350 एकड़ में किया जा रहा है, जहां तमिलनाडु सरकार की सहायता से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद काम जोरों पर है। इसका भूमिपूजन समारोह 28 फरवरी 2024 को किया गया था।
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