चेन्नई , अक्टूबर 14 -- भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में इस सप्ताह दो महत्वपूर्ण पहल होने की उम्मीद जतायी गयी है।
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) के मुताबिक 18 अक्टूबर को भारत के पहले फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, 13.6 मेगावाट फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर) के सफल संचालन का 40वां वर्ष पूरा होने वाला है। जबकि दूसरी महत्वपूर्ण पहल 500 मेगावाट प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) में ईंधन की लोडिंग है जो क्षेत्रीय नियामक के हाथों में है।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के अधिकारियों को उम्मीद है कि नियामक बोर्ड पीएफबीआर में ईंधन भरने की अनुमति देगा। दिलचस्प बात यह है कि 13.6 मेगावाट की एफबीटीआर, 500 मेगावाट की पीएफबीआर का पूर्ववर्ती है। दोनों इकाइयां चेन्नई से लगभग 70 किलोमीटर दूर कलपक्कम में स्थित हैं।
उन्होंने बताया कि फास्ट ब्रीडर रिएक्टर अनुसंधान एजेंसी, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) ने पीएफबीआर की डिज़ाइनिंग की है। एक फास्ट ब्रीडर रिएक्टर वह होता है जो परमाणु विखंडन अभिक्रिया के लिए अपनी खपत से ज़्यादा सामग्री उत्पन्न करता है। यह भारत के त्रि-स्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कुंजी है।
अधिकारियों ने कहा कि सोडियम-शीतित पीएफबीआर परियोजना पुनर्निर्माण में देरी एवं लागत में वृद्धि के कारण अटकी हुई है। पीएफबीआर का निर्माण भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) द्वारा 2004 से किया जा रहा है। शुरुआत में कहा गया था कि इस परियोजना से 2011 में व्यावसायिक विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा। भाविनी की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना लागत को 5,677 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6,840 करोड़ रुपये कर दिया गया। परियोजना पूर्ण होने की तिथि अक्टूबर 2022 निर्धारित की गई।
पीएफबीआर में ईंधन लोडिंग भारत के तीन चरणीय वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा उत्पादन के दूसरे चरण की शुरुआत का प्रतीक है जिसकी योजना डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने 1950 में ही बनायी थी।
भाविनी के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक प्रभात कुमार के अनुसार, पीएफबीआर, भारत के स्वदेशी यूरेनियम और प्रचुर थोरियम संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करके ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के भारत के प्रयासों में योगदान देता है। पीएफबीआर, यू235 ईंधन से यू233 ईंधन की ओर बढ़ने की दिशा में एक कदम है।
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) की मंजूरी मिलने के बाद, एफबीटीआर कोर को नए 40 मेगावाट कोर में परिवर्तित कर दिया गया और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी रिएक्टर भौतिकी मापदंडों को मापा गया। रिएक्टर को नए कोर के साथ पुनः शुरू किया गया तथा बिजली की क्षमता 40 मेगावाट तक बढ़ाया गया।
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