लखनऊ , नवम्बर 23 -- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "श्रीमद् भगवतगीता भारत की प्रेरणा हैं। हमने धर्म को विभिन्न उपासनाओं के माध्यम से अपनाया है। भारत में धर्म जीने की व्यवस्था है। धर्म की राह में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत की भूमि ने हमेशा त्याग और समर्पण किया है।"श्री योगी रविवार को दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि फल की चिंता किए बगैर कर्म करना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष में कार्य कर रहा है। संघ का स्वयंसेवक मतभेद त्यागकर भारत मां की सेवा करता है। स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से राष्ट्रभाव की प्रेरणा के साथ अपने कर्तव्य का पालन करता है। मुख्यमंत्री ने जियो गीता के माध्यम से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गीता के प्रसार की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने यदो धर्मस्य का पालन करने का भी आव्हान किया।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमें 700 श्लोकों के माध्यम से प्रतिदिन वाचन करना चाहिए। उनके माध्यम से जीवन में सीख लेंगे तो कल्याण हो जाएगा। आज दुनिया असमंजस की स्थिति में गीता के माध्यम से सही दिशा दी जा सकती है। यदि जीवन में शांति, संतोष नहीं होगा तो समस्या होगी। भारत की परम्परा में धर्म के साथ शांति और सौहार्द की व्यवस्था है। भारत में सत्य के निकट बैठकर जो ज्ञान प्राप्त करने का निचोड़ भगवत गीता में है।

सर संघचालक ने कहा कि अर्जुन के गंभीर प्रश्नों का उत्तर ही गीता है। हमें गीता पढ़ना चाहिए, समझना चाहिए और मनन करना चाहिए। इससे हमें सदा सर्वदा उपाय मिलते हैं। गीता हमें समस्या से भागने के बजाय फेस करने की प्रेरणा मिलती है। धर्म के आधार पर हमें सफलता अवश्य मिलती है। उत्तम विचार चाहिए तो उत्तम अधिष्ठान होने आवश्यक है। यदि अपना पुरुषार्थ मजबूत है तो भाग्य भी साथ है। धर्म धारण करने वाला होना चाहिए। हमें धर्म रक्षा के लिए लड़ना है।

डॉ मोहन भागवत ने कहा कि छोटा कार्य जो निष्काम से किया गया हो वह धर्म है। उन्होंने भक्तिपूर्वक कर्म करने का आव्हान किया। विश्व में शांति की स्थापना को गीता के माध्यम से ही किया जा सकता है। दुविधाओं से बाहर निकलकर राष्ट्र की सेवा करना ही हमारा परम कर्तव्य है जिसे गीता के माध्यम से जीवन में शामिल करना चाहिए। आज जियो गीता के माध्यम से हम यशस्वी भी होंगे, सार्थक होंगे। जिसके पथ पर ही चलकर भारत विश्वगुरु बन सकता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने सभी जन मानस का स्वागत करते हुए गीता से जुड़ने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि धर्म रिलीजियस नहीं है बल्कि धर्म का अर्थ है कर्तव्य विशेष। आज कर्तव्य से अधिक अधिकार की बात होती है। कर्त्तव्य से हम स्वयं को समर्पित करते हैं। इस दौरान ज्ञानानंद ने डॉ. मोहन भागवत के आगमन को आह्लादित करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि गीता की प्रेरणा को घर घर ले जाकर अपनाने की अपील की। डिजिटल गीता भी समाज के लिए कंस्ट्रक्शन का ही रूप है। गीता चिकित्सा, शिक्षा, जेल, स्वास्थ्य सभी क्षेत्रों में गीता का प्रभाव है। जल्द ही बैन लिपि गीता के माध्यम से मूकबधिर समाज को उपलब्ध कराई जायेगी।

कार्यक्रम का संयोजन मणि प्रसाद मिश्र ने किया। दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम के दौरान ज्येष्ठ प्रचारक प्रेमकुमार, शिवनारायण, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रान्त प्रचारक कौशल, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपा शंकर, प्रान्त प्रचारक प्रमुख यशोदानंदन, प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक, डॉ. लोकनाथ, ब्रजनंदन, डॉ उमेश, डॉ. राकेश के साथ तमाम कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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