मास्को, सितंबर 26 -- विश्व परमाणु संघ की महानिदेशक समा बिलबाओ लियोन ने विश्व परमाणु सप्ताह समारोह में कहा है कि भारत अपने स्वदेशी कार्यक्रम के साथ परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में शानदार काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों में परमाणु ऊर्जा का अच्छा विकास हुआ है।
सुश्री लियोन ने समारोह में अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा कि दुनिया भारत की क्षमता की ओर देख रही है। उल्लेखनीय है कि यह समारोह रूसी परमाणु उद्योग की 80वीं वर्षगांठ को समर्पित है। उन्होंने कहा कि कई देश आपूर्ति श्रृंखला के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। उन्होंने 2047 तक भारत के 100 गीगावाट के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि देश के पास करने के लिए बहुत बड़ा काम है और सभी का ध्यान इसी पर है कि इसे कैसे पूरा किया जाएगा।
उन्होंने नीतिगत विकास पर कहा कि भारत को अपने परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन करने की जरूरत है। सुश्री लियोन ने परमाणु क्षेत्र में भारत और रूस के बीच संबंधों पर बातचीत करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सहयोग हैं।
सुश्री लियोन ने यह भी बताया कि रूस द्वारा आपूर्ति की गई 1,000 मेगावाट की दो परमाणु ऊर्जा इकाइयां भारत में कार्यरत हैं। चार और निर्माणाधीन हैं। सुश्री बिलबाओ लियोन को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच इसी तरह का सहयोग जारी रहेगा। परमाणु क्षेत्र में महिलाओं के काम करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कि अगर 2050 तक परमाणु क्षमता को तीन गुना करना है तो इसके लिए महिला और पुरुष दोनों श्रमिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र को न केवल परमाणु इंजीनियरों की आवश्यकता है बल्कि अन्य प्रकार के इंजीनियरों, वकीलों, पेशेवरों, लेखाकारों और अन्य लोगों की भी आवश्यकता है। विकिरण और महिलाओं के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में जो गलत धारणाएं व्याप्त हैं उनको दूर करना होगा।
सुश्री लियोन ने कहा, "हम प्रयास कर रहे हैं कि परमाणु उद्योग महिलाओं और अन्य कर्मचारियों का स्वागत करे।" छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) की भूमिका पर उन्होंने कहा कि यदि परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य हासिल करना है तो बड़े और छोटे रिएक्टरों की आवश्यकता है।
सुश्री लियोन ने ईंधन की उपलब्धता पर बात करते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को चलाने के लिए ईंधन की खोज और इस्तेमाल किए हुए ईंधन को निकालने के लिए निवेश की आवश्यकता है। ईंधन चक्र को बंद करना भी महत्वपूर्ण है और रूस इस पर काम कर रहा है। समुद्री जल में भी यूरेनियम पाया जाता है और कई खनन परियोजनाओं में यूरेनियम एक अपशिष्ट उत्पाद है जिसका दोहन किया जाना आवश्यक है।
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