नयी दिल्ली/मॉस्को , अक्टूबर 07 -- भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान सहित 11 राष्ट्रों ने अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में कुछ देशों की ओर से अपने सैन्य ढांचे की तैनाती के प्रयासों की निंदा की है।
अफगानिस्तान पर मॉस्को प्रारूप परामर्श की मंगलवार को सातवीं बैठक में भारत, अफगानिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में कुछ देशों केअपने सैन्य ढांचे की तैनाती के प्रयासों को अस्वीकार्य बताया और कहा कि यह क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के हित में नहीं है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में किसी भी बहाने से अफगान क्षेत्र या पड़ोसी देशों में किसी भी तीसरे देश के सैन्य ढांचे की तैनाती का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा, "क्षेत्र-बाह्य शक्तियों की सैन्य उपस्थिति से अस्थिरता और नए संघर्षों का ख़तरा पैदा हो सकता है। अफगानिस्तान का इतिहास विदेशी सैन्य उपस्थिति से भरा पड़ा है और अब तक जरुरी सबक सीख लिए जाने चाहिए थे।"उन्होंने पश्चिमी देशों से अपनी टकराव की नीतियों को त्यागने, जब्त की गयी धनराशि वापस करने और संघर्ष के बाद अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की ज़िम्मेदारी लेने का आह्वान किया, जिसमें दशकों से देश की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढाँचे को हुए भारी नुकसान की भरपाई भी शामिल है।
विदेश मंत्री अमीर खान मोत्ताकी के नेतृत्व में पहली बार अफगान प्रतिनिधिमंडल ने सदस्य के रूप में बैठक में भाग लिया। बेलारूस का एक प्रतिनिधिमंडल भी अतिथि के रूप में बैठक में शामिल हुआ।
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र, एकजुट और शांतिपूर्ण राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने क्षेत्रीय देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ अफ़ग़ानिस्तान के आर्थिक और व्यापारिक आदान-प्रदान और निवेश सहयोग के विकास की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया। उन्होंने अफगानिस्तान की भागीदारी से क्षेत्रीय आर्थिक परियोजनाओं के विकास और स्वास्थ्य सेवा, गरीबी उन्मूलन, कृषि और आपदा निवारण जैसे क्षेत्रों में निरंतर प्रगति को बढ़ावा देने में भी रुचि व्यक्त की ताकि उसे शीघ्र ही स्वतंत्र और सतत विकास प्राप्त करने में मदद मिल सके।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि उन्होंने अफगानिस्तान को क्षेत्रीय संपर्क प्रणाली में सक्रिय रूप से एकीकृत करने का समर्थन किया। दोनों पक्षों ने अफगान लोगों को मानवीय सहायता जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगान लोगों को आपातकालीन मानवीय सहायता प्रदान करने में तेजी लाने का आह्वान किया। सभी पक्षों ने जोर दिया कि आतंकवाद अफगानिस्तान, क्षेत्र और व्यापक विश्व की सुरक्षा के लिए एक गंभीर ख़तरा है और क्षेत्रीय ढाँचों की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने अफगानिस्तान की वर्तमान दुर्दशा के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार देशों से अफगानिस्तान के आर्थिक सुधार और भविष्य के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी ईमानदारी से पूरा करने का आग्रह किया।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में अफगानिस्तान को बगराम एयरबेस सौंपने या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने अमेरिका की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
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