कोण्डागांव , नवम्बर 25 -- छत्तीसगढ़ में किसानों के धान विक्रय से संबंधित गंभीर समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की कोण्डागांव इकाई ने मंगलवार को जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को संबोधित एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
इस ज्ञापन में पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की मांगों पर तत्काल और गंभीरतापूर्वक कार्रवाई नहीं की गई तो व्यापक जनांदोलन चलाया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
भाकपा नेता शैलेश ने मंगलवार को यहां प्रेस विज्ञप्ति के जरिए बताया कि जिले के अनेक किसानों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि खरीफ मौसम में उनकी धान फसल का गिरदावरी दर्ज नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त वनाधिकार प्रपत्र (एफआरए) धारक किसानों का धान विक्रय हेतु पंजीयन भी नहीं हो पाया है, जिससे यह किसान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। पंजीयन और गिरदावरी नहीं होने की स्थिति में किसान धान बेचने से वंचित रह जाते हैं, परिणामस्वरूप वे लेम्प्स/बैंक से लिए गए ऋण की भरपाई भी नहीं कर पा रहे।
भाकपा के जिला सचिव शैलेश ने कहा कि किसान गिरदावरी और पंजीयन के लिए तहसील कार्यालयों, वन विभाग और जिला मुख्यालय के चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं, परंतु समाधान न मिलने से वे निराश होकर लौट रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासनिक उदासीनता जारी रही और किसी किसान ने मजबूरी में आत्महत्या जैसे कदम उठाए, तो इसकी जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से शासन-प्रशासन की होगी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कुछ वर्ष पूर्व बड़ेराजपुर तहसील के एक आदिवासी किसान ने ऐसी ही परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली थी, जिसे प्रशासन मानो भूल चुका है।
भाकपा ने आरोप लगाया कि धान खरीदी की महत्वपूर्ण प्रक्रिया रकबा जांच, गिरदावरी, पंजीयन को छोड़कर शासन-प्रशासन के प्रतिनिधि और अधिकारी बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजनों में व्यस्त दिखाई दे रहे हैं। पार्टी ने कहा कि यह रवैया इस बात का संकेत है कि सरकार संभवतः किसी खास रणनीति के तहत किसानों की उपेक्षा कर रही है, ताकि न्यूनतम धान खरीदी की जाए।
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