बोकारो, 29सितम्बर (वार्ता) झारखंड के बोकारो जिले के चास प्रखंड में स्थित चाकुलिया गांव का प्राचीन दुर्गा मंदिर अपने खास इतिहास और परंपरा के लिए जाना जाता है।

लगभग 175 वर्ष पहले दुबे परिवार के स्वर्गीय कालीचरण दुबे ने पुत्री प्राप्ति की कामना से यहां मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू की थी। तब से यह मंदिर पुत्री प्राप्ति के लिए विशेष आस्था का केंद्र बन गया है।

पूजा करने आए श्रद्धालु बताया कि यह मंदिर समाज में बेटियों के महत्व को समझाने और उनकी पूजा-अर्चना के लिए एक विशेष संदेश देता है।

आज के समय में जहां बेटियों को दहेज बोझ और पुत्र-प्रधान सोच के कारण कमतर माना जाता है, वहीं चाकुलिया का यह मंदिर बेटियों को वरदान के रूप में मानता है। ग्रामीणों का मानना है कि मां दुर्गा यहां आने वाले श्रद्धालुओं की पुत्री प्राप्ति की मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं।

दुबे परिवार के पुजारी मनोहर दुबे बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने मिट्टी के घर में मां दुर्गा की स्थापना की थी और पूजा के बाद पुत्री भवानी का जन्म हुआ। यही परंपरा आगे बढ़ती चली गई। स्थानीय श्रद्धालु सूर्यकांत सिंह, दिनेश महतो और कात्यानी दिव्या ने भी यहां आकर पुत्री सहित संतान प्राप्ति की कामना की और उनका मानना है कि मां दुर्गा की कृपा से उनकी इच्छाएं पूरी हुईं।

श्री दुबे ने बताया कि मंदिर में घट स्थापना की परंपरा भी खास है। पहली बार जिस तांबे के लोटे से घट स्थापना हुई थी, उसी लोटे का आज भी उपयोग होता है, जो परिवार और गांव की आस्था का प्रतीक है। 13 साल पहले यहां मां सिद्धिदात्री का मंदिर भी स्थापित किया गया, जहां रोज पूजा होती है और खास अवसरों पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।

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