बैतूल , नवंबर 24 -- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षण व संवर्धन की दिशा में हर वर्ष आयोजित होने वाला दिवाड़ी-गोठान महोत्सव इस बार भी पूरे उत्साह के साथ मनाया गया।
आदिवासी गायकी व ठाठिया (गोंड) समाज संगठन तथा समस्त आदिवासी समाज, बैतूल द्वारा आयोजित इस जिला स्तरीय समारोह में रविवार को हजारों की संख्या में समाजजन शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत पड़ा पेन ठाना से भव्य पारंपरिक जुलूस के साथ हुई। इस जुलूस में जिलेभर से पहुंचे महिला-पुरुष अपने पारंपरिक परिधानों में नजर आए। बांसुरी, घुंघरू, ढोल, मांदर और सींग से बने वाद्ययंत्रों की लयबद्ध धुनों पर आदिवासी नर्तकों का उल्लास देखते ही बन रहा था। कौड़ियों से सजे परिधान और ठठिया नृत्य जुलूस के प्रमुख आकर्षण रहे, जिन्होंने शहरवासियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस दौरान समाज के कलाकारों ने पारंपरिक गीतों और नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दीं। इसके बाद ऑडिटोरियम में मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां विभिन्न ग्रामों से आए कलाकारों ने अपनी विशेष पारंपरिक कला, गायन और नृत्य के माध्यम से आदिवासी विरासत की समृद्ध झलक पेश की। दर्शकों ने भी इन प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया।
इससे पूर्व ग्राम टेमनी में गोधूनी कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें भगत भूमिका द्वारा विशेष अनुष्ठान संपन्न कराया गया था।
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