चंडीगढ़, सितंबर 26 -- शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पंजाब सरकार पर बेअदबी मामलों में नामजद आरोपियों का साथ देने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह सिख कौम के साथ भावनात्मक धोखा है।

शुक्रवार को अपने बयान में ज्ञानी सिंह ने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने बठिंडा, फरीदकोट और मोगा के बेअदबी केसों को चंडीगढ़ स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। लेकिन हैरानी की बात है कि पंजाब सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील ही नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे-सीधे डेरा प्रमुख और अन्य नामजद आरोपियों की मदद करना है।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि जब केसों को चंडीगढ़ ट्रांसफर किया गया तो यह तर्क दिया गया कि पंजाब में ट्रायल का माहौल अनुकूल नहीं है। लेकिन यही डेरा समर्थक पंजाब में खुलेआम कार्यक्रम कर रहे हैं और अदालत में उल्टा तर्क पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अदालत में चुप रहकर पंजाब सरकार ने डेरा प्रेमियों की बात पर सहमति जताई है।

उन्होंने बताया कि अब एक शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फूलका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई है कि पंजाब में ट्रायल के लिए माहौल पूरी तरह अनुकूल है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टेटस को लगाते हुए 13 अक्टूबर तक जवाब मांगा है।

ज्ञानी सिंह ने कहा कि यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि पूरी कौम की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि 2022 के चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि सत्ता में आते ही बेअदबी केसों में इंसाफ दिलाया जाएगा। लेकिन अब सरकार खुले तौर पर आरोपियों का बचाव कर रही है।

उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार नया कानून बनाने का प्रचार कर रही है और दूसरी ओर बड़े केसों में इंसाफ से पीछे हट रही है। पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने मांग की कि इन मामलों का ट्रायल पंजाब में ही हो, मुकदमों में तेजी लाई जाए और नामजद डेरा प्रमुख को भी सम्मन किया जाए। साथ ही मौर धमाके की जांच आगे बढ़ाकर पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए बड़े कदम उठाए जाएं।

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