बीजापुर , अक्टूबर 02 -- छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति एवं पुनर्वास योजनाओं ने एक बड़ी सफलता प्राप्त की है जहां बीजापुर जिले में 103 माओवादियों के ऐतिहासिक आत्मसमर्पण किया है। इनमें 1 करोड़ 6 लाख 30 हजार रुपये के इनाम वाले 49 ईनामी माओवादी भी शामिल हैं जिन्होंने बुधवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ शासन की 'पुनर्मिलन-पुनर्वास से पुनर्जीवन' नीति की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। समर्पण करने वालों में डीव्हीसीएम, पीपीसीएम, एसीएम सहित विभिन्न स्तरों के वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने गुरुवार को कहा, "यह सिर्फ आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि उस विचारधारा की हार है, जो बरसों तक हिंसा और भ्रम के सहारे टिकी रही।"आत्मसमर्पण के पीछे मुख्य कारणों में माओवादी संगठन में बढ़ते आंतरिक मतभेद, सुरक्षा बलों की प्रभावी कार्रवाई और शासन की विकासोन्मुखी योजनाओं का सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचना है। विशेष रूप से रेवोल्यूशनरी पीपुल्स कमेटी (आरपीसी) के सदस्य बड़ी संख्या में मुख्यधारा में लौट रहे हैं। इस वर्ष अब तक जिले में 410 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 421 गिरफ्तार और 137 मुठभेड़ों में मारे गए हैं।
छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ने आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए व्यापक प्रावधान किए हैं। प्रत्येक आत्मसमर्पित व्यक्ति को 50,000 रुपये की तात्कालिक सहायता राशि प्रदान की गई। उप पुलिस महानिरीक्षक कमलोचन कश्यप ने कहा, "नियद नेल्लानार योजना और सुरक्षा कैंपों की स्थापना ने दूरस्थ क्षेत्रों में विकास की नई इबारत लिखी है।"आत्मसमर्पण करने वालों में दक्षिण सब जोनल ब्यूरो कम्युनिकेशन कमांडर लच्छु पूनेम (आठ लाख इनामी) और कंपनी कमांडर गुड्डू फरसा (आठ लाख इनामी) जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, संगठन के शीर्ष नेतृत्व के आत्मसमर्पण और मुठभेड़ों में मारे जाने से माओवादी संगठन की रणनीतिक क्षमता पर गहरा असर पड़ा है।
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