लखनऊ , नवंबर 28 -- आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की लगातार हो रही मौतों को भाजपा सरकार और चुनाव आयोग की "अमानवीय दबाव नीति" का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि अब तक 25 से अधिक बीएलओ की जान जा चुकी है, जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अत्यंत गंभीर और चिंताजनक स्थिति है। इस मुद्दे पर आप ने 30 नवंबर को पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित करने की घोषणा की है।

शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में संजय सिंह ने आरोप लगाया कि एसआईआर के नाम पर सरकार और चुनाव आयोग बीएलओ पर असंभव लक्ष्य थोप रहे हैं। उनके अनुसार, "यह चुनाव सुधार नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ संगठित अपराध है।" उन्होंने सवाल उठाया कि जब चुनाव में डेढ़ साल का समय शेष है, तब इतनी जल्दबाज़ी और कठोरता क्यों? क्या यह विपक्ष और वंचित समाज को मतदाता सूची से हटाने की राजनीतिक साजिश है?राज्यसभा सांसद ने कहा कि बीएलओ को बिना पर्याप्त प्रशिक्षण, बिना संसाधन और बिना मानवीय समय-सीमा के प्रताड़ित किया जा रहा है। कई बीएलओ अत्यधिक तनाव, अवसाद, थकान और डर के माहौल में काम कर रहे हैं। "बीएलओ मशीन नहीं, परिवार और जिम्मेदारियों वाला इंसान है, लेकिन सरकार उन्हें ऐसी परिस्थितियों में धकेल रही है जहाँ लोग नौकरी बचाने के डर में अपनी जिंदगी तक खत्म कर रहे हैं," उन्होंने कहा।

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि कई क्षेत्रों में बीएलओ को रातभर ड्यूटी करनी पड़ रही है और राजनीतिक दबाव में घर-घर जाकर डेटा अपडेट करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 25 से अधिक मौतों के बावजूद सरकार और चुनाव आयोग किसी भी मृतक बीएलओ के परिवार को न मुआवजा दे सके हैं और न ही न्याय का आश्वासन-जो बेहद शर्मनाक है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एसआईआर को जिस "निर्मम तेजी" से लागू कराया जा रहा है, वह प्रशासनिक प्रक्रिया से अधिक राजनीतिक आदेश प्रतीत होता है। उन्होंने मांग की कि सभी मौतों की उच्च स्तरीय जांच हो, पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए और बीएलओ पर हो रहा अत्याचार तत्काल रोका जाए।

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