कार्यक्रम में राज्य रणनीति के उद्देश्यों और क्रियान्वयन की दिशा पर विस्तार से चर्चा की गई और बाल एवं किशोर श्रम उन्मूलन का रिपोर्ट कार्ड भी जारी किया गया।आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि गरीबी, अशिक्षा और असमानता बालश्रम की जड़ें हैं। हमें बच्चों के लिए बेहतर अवसर और विकल्प तैयार करने होंगे। इस कार्ययोजना में विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से तय किया गया है, ताकि बचपन की रक्षा और पुनर्वास की प्रक्रिया को और मजबूत बनाया जा सके।इस मौके पर श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनन्द ने कहा कि "बाल श्रम केवल कानूनी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और न्याय का विषय है।वर्ष 2009 और 2017 में बनी कार्य योजनाओं के अनुभवों से सीख लेकर 2025 की यह रणनीति और अधिक व्यापक और अद्यतन बनाई गई है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 और बिहार बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) नियमावली, 2024 के बाद यह रणनीति समय की मांग थी।बिहार के श्रमायुक्त ने बताया कि नई रणनीति में पहली बार रेलवे, सशस्त्र सीमा बल, परिवहन विभाग और विधिक सेवा प्राधिकरणों को भी शामिल किया गया है। इससे पहचान, विमुक्ति और पुनर्वास की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होगी।कार्यक्रम में यह सहमति बनी कि बाल श्रम उन्मूलन के लिए केवल कानून नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता, शिक्षा की पहुंच, पुनर्वास की ठोस व्यवस्था और सभी हितधारकों की साझी जिम्मेदारी आवश्यक है। राज्य रणनीति एवं कार्य योजना, 2025 को बिहार को बाल श्रम मुक्त राज्य बनाने की दिशा में एक निर्णायक और दूरगामी कदम साबित होगा।
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