लखनऊ , नवंबर 29 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उप्र बिजली मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शशांक निगम का लखनऊ से सोनभद्र किए गए तबादले के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार समेत विद्युत विभाग को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने यह आदेश शशांक निगम की याचिका पर दिया। इसमें याची ने तबादला आदेशों को चुनौती दी थी।
याची के अधिवक्ता सक्षम अग्रवाल का कहना था कि याची उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि शक्तिभवन लखनऊ में बतौर एकाउंटेंट तैनात था। वह उप्र बिजली मजदूर संगठन का प्रदेश अध्यक्ष भी है। याची, संगठन के अन्य लोगों के साथ एक टेंडर के विरोध में धरना देने लगा। इससे क्षुब्ध होकर उसका तबादला लखनऊ से ओबरा थर्मल पावर स्टेशन सोनभद्र कर दिया गया।
अधिवक्ता ने एक नजीर के हवाले से तर्क दिया कि किसी कर्मचारी को दंड के विकल्प के रूप उसका तबादला नहीं किया जा सकता। उधर, विभागीय अधिवक्ता ने याचिका का विरोध किया।कोर्ट ने मामले को गौर करने योग्य कहकर अगली सुनवाई के लिए जनवरी में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। साथ ही अगले आदेशों तक याची के तबादला आदेशों पर रोक लगा दी।
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