भोपाल , दिसम्बर 21 -- मध्यप्रदेश सरकार बिजली व्यवस्था को सुदृढ़, पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य कर रही है। बिजली चोरी पर सख्ती, स्मार्ट मीटर के माध्यम से सस्ती बिजली, उत्पादन-प्रेषण क्षमता में वृद्धि और उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह बात रविवार को ऊर्जा विभाग द्वारा डॉ. मोहन यादव सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित प्रेस से संवाद कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कही।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बिजली चोरी की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो एक संज्ञेय अपराध है और इसमें तीन वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है। सरकार द्वारा समाधान योजना लागू की गई है, जिसमें मूल राशि जमा करने पर सरचार्ज माफ किया जा रहा है, वहीं बिजली चोरी पर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि बिजली चोरी और अनावश्यक बिजली खपत रोकने में सरकार का सहयोग करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
उन्होंने बताया कि बिजली दरों में वृद्धि रोकने के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अनुबंध किए जा रहे हैं, साथ ही कंपनियों के अनावश्यक खर्चों में कटौती और जनरेटिंग प्लांट की ताप इकाइयों को अधिक समय तक चलाने से लागत कम की जा रही है। भारत सरकार के सहयोग से अधोसंरचना विकास, भविष्य की मांग के आकलन तथा विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण की दीर्घकालीन कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। स्मार्ट मीटर के माध्यम से सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक सस्ती बिजली का लाभ दिया जा रहा है। इस अवधि में की गई खपत पर उपभोक्ताओं को 20 प्रतिशत तक की छूट मिल रही है। उन्होंने स्मार्ट मीटर को ईमानदार उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी बताते हुए इसके पक्ष में जनजागरूकता पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता संतुष्टि के आकलन के लिए जन-संवाद कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं, जिनमें वितरण केंद्र स्तर पर प्रतिदिन उपभोक्ताओं से संवाद किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल कार्यक्रमों के माध्यम से समस्याओं का समाधान और मौके पर ही राशि विभाजन की सुविधा भी दी जा रही है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य में वर्तमान में कुल अनुबंधित विद्युत क्षमता 25,081 मेगावाट है, जिससे मध्यप्रदेश सरप्लस राज्य बन गया है। 12 दिसंबर 2025 को प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक 19,113 मेगावाट की मांग बिना किसी कटौती के पूरी की गई। उन्होंने बताया कि शासकीय जनरेटिंग कंपनी द्वारा सारणी और चचाई में 660-660 मेगावाट के दो नए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं तथा ट्रांसमिशन कंपनी की 5,000 करोड़ रुपये की पंचवर्षीय योजना को भी स्वीकृति दी गई है।
उन्होंने कहा कि घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को प्रतिवर्ष लगभग 26 हजार करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी दी जा रही है। घरेलू उपभोक्ताओं के पहले 100 यूनिट पर मात्र 100 रुपये बिल लिया जा रहा है, वहीं किसानों को कुल देय राशि का केवल 7 प्रतिशत दो किश्तों में देना होता है। अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को एक हेक्टेयर तक 5 एचपी पंप के लिए निःशुल्क बिजली दी जा रही है। उद्योगों को भी बिजली दरों में लगभग 2,000 करोड़ रुपये की वार्षिक छूट दी जा रही है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि विद्युत कंपनियों में 2011 के बाद संगठनात्मक ढांचे में वृद्धि नहीं होने से शिकायतों में इजाफा हुआ था। इसे देखते हुए मंत्रिपरिषद द्वारा विद्युत कंपनियों में 50 हजार से अधिक नियमित पदों के सृजन को मंजूरी दी गई है, जिससे व्यवस्था सुदृढ़ होगी, शिकायतों का त्वरित निराकरण संभव होगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उन्होंने अंत में उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत देयकों का भुगतान नहीं किए जाने से बकाया राशि 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। सरकार का लक्ष्य सहयोग और प्रयासों से बिजली क्षेत्र में अपने मिशन को सफल बनाना है। इस दौरान ऊर्जा विभाग के सचिव विशेष गढ़पाले ने ऊर्जा विभाग की उपलब्धियों के साथ आगामी तीन साल का रोडमैप भी पेश किया।
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