पठानकोट, सितम्बर 26 -- अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी और पीसीटी ह्यूमैनिटी के संस्थापक डॉ. जोगिंदर सिंह सलारिया की अगुवाई में खालसा राज के संस्थापक और महान सिख सेनापति अमर शहीद बाबा बंदा सिंह बहादुर (बंदा बैरागी) के जन्म स्थान राजौरी के लिए तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा शुक्रवार को पठानकोट से जयकारों की गूंज के बीच रवाना हुयी।

इस यात्रा में अयोध्या के रामानंदी श्री वैष्णव संप्रदाय के संत श्री महंत आशीष दास ने विशेष रूप से शिरकत की। यह यात्रा कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों से होकर शाम तक राजौरी पहुंचेगी, जहाँ 27 सितम्बर को गुरुद्वारा जन्म स्थान में निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया जाएगा और 28 सितम्बर को यह यात्रा पठानकोट वापसी के साथ सम्पन्न होगी।

यात्रा के प्रबंधक गुरमिंदर सिंह चावला ने बताया कि गुरबाणी और शब्द कीर्तन से रंगी हुई संगत का जम्मू के कठुआ में जिला गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान चरणजीत सिंह की अगुवाई में स्थानीय संगत ने भव्य स्वागत और सम्मान किया।

इस अवसर पर डॉ. जोगिंदर सिंह सलारिया ने कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर केवल सिख कौम के ही नायक नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने लोगों से अपनी विरासत की जड़ों को और मज़बूत करने की अपील की और उन शरारती तत्वों से सतर्क रहने को कहा जो छोटी-छोटी बातों में फूट डालने का प्रयास करते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर की शहादत को कभी भुलाना नहीं चाहिए, जिन्होंने धर्म और मानवता के लिए बलिदान दिया। अगर हम उन्हें भूल जाएँ तो हमसे बड़ा अकृतज्ञ कोई नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के आदेश से बाबा बंदा सिंह बहादुर ने मुगल सल्तनत की नींव हिला दी, ज़ुल्म के किलों को ढहा दिया और न्याय की स्थापना करते हुए खालसा राज का झंडा फहराया। उन्होंने याद दिलाया कि जब निर्दयी शासक ने उनके छोटे बेटे भाई अजय सिंह की छाती चीरकर कलेजा उनके मुँह में डाल दिया, तब भी बाबा बंदा बहादुर जुल्म के आगे नहीं झुके और गुरु साहिब की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए बेमिसाल शहादत प्राप्त की।

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