अहमदाबाद , अक्टूबर 11 -- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अध्यक्षता में शनिवार को गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित गुजरात विद्यापीठ के 71वें दीक्षांत समारोह अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि पूज्य बापू ने गुजरात विद्यापीठ की स्थापना केवल शिक्षा के लिए नहीं की थी, बल्कि राष्ट्र को दासता की मानसिकता से मुक्त करने का उनका उद्देश्य था।
श्री देवव्रत ने कहा कि बापू ने सत्य, अहिंसा एवं भारतीय मूल्यों के आधार पर स्वतंत्रता का मार्ग दर्शाया था। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह प्रत्येक संस्थान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण प्रसंग है। आज आप सबने जो डिग्री प्राप्त की है, वह केवल आपके लिए नहीं, बल्कि समाज एवं राष्ट्र के लिए जिम्मेदारी की शुरुआत है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के करकमलों से इस अवसर पर सात विद्या संकायों के 18 विभागों के लगभग 713 विद्यार्थियों को डिग्रियाँ प्रदान की गईं।
राज्यपाल ने भारतीय परंपरा में गुरु द्वारा शिष्य को दिए जाने वाले अंतिम उपदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्य का आचरण करना, धर्म यानी कर्तव्य का पालन करना और निरंतर अध्ययन करते रहना ही विद्यार्थियों का मुख्य ध्येय होना चाहिए। सतत अभ्यास से ही ज्ञान समृद्ध बनता है।
श्री आचार्य देवव्रत ने विद्यार्थियों को उन्हें मिले ज्ञान को स्वयं तक सीमित न रखने की सलाह देते हुए कहा कि जिस प्रकार बादल समुद्र के खारे पानी से अच्छा पानी खींच कर उसे जरूरतमंदों के लिए बरसाते हैं, उसी प्रकार आपको भी अपना ज्ञान राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित करना चाहिए।
पूज्य बापू के आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी आधारित राष्ट्र निर्माण के विचार का उल्लेख कर राज्यपाल ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भर तथा विकसित भारत की दिशा में देश के ओगा ले जा रहे हैं।
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