नयी दिल्ली , नवम्बर 26 -- दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने बहु-राज्यीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए तीन प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस के अनुसार, ये नेटवर्क उच्च-मूल्य निवेश ठगी, फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और जामताड़ा शैली के केवाईसी फ्रॉड जैसे मामलों में सक्रिय थे। इनका जाल कई राज्यों में फैला हुआ था। पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम ने यह जानकारी दी।
पहले मामले में सितंबर में दर्ज ई-एफआईआर के बाद 33.10 लाख रुपये की ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि बेलक्रेस्ट इंडिया प्रा. लिमिटेड नाम की फर्जी कंपनी के जरिए कई बैंक खाते खोले गए थे। इसकी 57 साइबर शिकायतें आयीं थीं। इस मॉड्यूल के संचालक नजफगढ़ निवासी लक्ष्य को 19 नवम्बर को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, उसने एक और फर्जी कंपनी नेक्सटोवर्स आईटी साल्यूशन प्रा. लिमिटेड भी बनाई थी, जिसके जरिए ठगी की रकम को घुमाया जाता था। उसके सहयोगियों की तलाश जारी है।
दूसरे मामले में, फरीदाबाद के रामवीर को हरियाणा के करनाल में गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, उसने 'एजेंल वन' के नाम से मिलती-जुलती फर्जी ट्रेडिंग ऐप बनाकर 53.05 लाख रुपये की ठगी की। जांच में पाया गया कि आरएस इंटरप्राइजेज नाम के खाते में 14 लाख रुपये जमा किए गए थे। पुलिस ने बताया कि रामवीर पहले भी इसी तरह के एक साइबर अपराध में गिरफ्तार हो चुका है और एक बड़े गिरोह का हिस्सा माना जा रहा है।
तीसरे मॉड्यूल में 5.75 लाख रुपये की जामताड़ा शैली की केवाईसी ठगी का खुलासा हुआ। आरोपी की पहचान झारखंड के गिरिडीह जिले के 33 वर्षीय राजेश मंडल के रूप में हुई। वह अपने आपको बैंक अधिकारी बताकर पीड़ित की जानकारी लेता था, फिर एनीडेस्क सॉफ्टवेयर प्रयोग करके महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान ऑर्डर करता था, जिन्हें बाद में कोलकाता के फैंसी मार्केट में सप्लाई किया जाता था।
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