जगदलपुर , अक्टूबर 05 -- 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की एक महत्वपूर्ण रस्म 'कुटुंब जात्रा' रविवार को संपन्न हुई। इसके साथ ही बस्तर संभाग और पड़ोसी राज्यों से आए हजारों देवी-देवताओं के छत्र और डोली की ससम्मान विदाई की गई।
महात्मा गांधी स्कूल परिसर में आयोजित इस रस्म में बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सभी देवी-देवताओं को विदा किया। यह 600 साल से अधिक पुरानी परंपरा का निर्वहन थी, जो रियासतकाल से चली आ रही है।
परंपरानुसार दशहरा में शामिल हुए सभी देवी-देवताओं को 'रूसूम' (दक्षिणा/भेंट) देकर विदा किया गया। राजपरिवार और दशहरा समिति ने पुजारियों को कपड़े, पैसे और मिठाइयां देकर सम्मानित किया।
गंगामुण्डा वार्ड स्थित देवगुड़ी में श्रद्धालुओं ने देवी-देवताओं को भेंट अर्पित कर अपनी मनोकामनाएं व्यक्त की। इस दौरान डोलियों, लाठ और आंगादेव के खेल ने माहौल को आकर्षक बना दिया। पूरा परिसर भक्तिमय वातावरण में डूबा रहा।
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