पटना, सितंबर 26 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बिहार की 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के शुभारंभ के कार्यक्रम में औपचारिकताओं का बंधन टूट गया और वहां महिलाओं से ऑनलाइन मौजूद से हुई बातचीत ने मन से, मन की बात का रुप ले लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने जब लाभार्थी महिलाओं से बातचीत की तो उन महिलाओं ने अपनी जिंदगी की मुश्किलों को स्नेहपूर्वक इस तरह से साझा किया कि मानो वे अपने परिवार के ही किसी बड़े से बात कर रही हैं। इस बातचीत का भावनात्मक पहलू तब अपने शिखर पर आ गया जब लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री को स्नेहपूर्वक "भैया" कहकर संबोधित किया।

भोजपुर की रीता देवी 2015 से कुक्कुट पालन का कामकाज शुरु करके अपनी जिंदगी में बदलाव का बड़ा मोड़ लाने की कोशिश कर रही हैं। वह अपनी आंखों में चमक लिए बोलीं, "मेरी ज़िंदगी बदल गई है। जब मुझे 10,000 रुपये का सहयोग मिलेगा, तो मैं 100 और मुर्गियाँ खरीदूँगी। सर्दियों में अंडों की मांग बढ़ जाती है, और इससे मेरी आमदनी और बढ़ जायेगी।"लेकिन उनके उत्साह का आवेग वहीं तक नहीं थमा। उन्होंने बताया कि कैसे कई सरकारी योजनाओं ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया है। उन्होंने बताया, "पहले हमारा घर बहुत खराब स्थिति में था, लेकिन पीएम आवास योजना से हमारे पास एक पक्का घर और शौचालय है। अब हम साफ पानी पीते हैं, चूल्हे की जगह उज्ज्वला गैस का उपयोग करते हैं, आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज पाते हैं, और 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिलती है। यह बचत हमारे बच्चों के भविष्य को सुदृढ़ करने में उपयोग होगी। यह बिल्कुल नई ज़िंदगी की तरह लगता है।"पश्चिम चंपारण की रंजीता काज़ी का उत्साह तो देखने लायक था। उन्होंने इस योजना को त्योहार के समान बताते हुए कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे क्षेत्र में सड़कें, पानी और बिजली आएगी। उज्ज्वला ने हमें धुएं से मुक्त कर दिया। मैं 10,000 रुपये का ज्वार और बाजरा की खेती में निवेश करूँगी, और जब मुझे दो लाख मिलेंगे, तो मैं और आगे बढ़ूँगी - स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए एक दिन लखपति बनूंगी।"गया की नूरजहाँ खातून की कहानी तो महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल है। उन्होंने धीमी और गरिमामय आवाज में अपनी बात रखते हुए कहा, "हम इस 10,000 रुपये के उपहार से बहुत खुश हैं क्योंकि यह हमें अपनी पसंद का व्यवसाय शुरू करने का अवसर देता है। पहले, परिवारों को हमारा बाहर जाना पसंद नहीं था, यहाँ तक कि पति हमारी पिटाई भी करते थे। लेकिन आज, आत्मनिर्भरता के कारण, परिवार हमारा सम्मान करता है। पहले हम अपने पतियों को अपनी संपत्ति मानती थीं, अब हमारे पति हमें लखपति मानते हैं।"मिठाई बनाने वाली पूर्णिया की पुतुल देवी के लिए रोजगार योजना अपने सपनों को सच करने का पुल है। उन्होंने कहा, "जब मुझे दो लाख रुपये मिलेंगे, तो मैं अपना व्यवसाय बढ़ाऊँगी और पीएम की स्वदेशी दृष्टि के साथ राष्ट्र को सशक्त बनाऊँगी। लोग मुझ पर हँसते थे, लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद सब बदल गया। आज, 125 यूनिट मुफ्त बिजली से मैं बचत करती हूँ और अपने बच्चों की शिक्षा में निवेश करती हूँ।"जब प्रधानमंत्री मोदी ने मजाकिया और कौतुहल भरे अंदाज में पुतुल देवी से पूछा कि क्या उन्हें जलेबी पर हुई राजनीति का पता है। तो उनकी बात सुन कर सभी हंस पड़े।

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