रायपुर, अक्टूबर 12 -- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को प्रेस वार्ता लेकर आरोप लगाया कि राज्य की जांच एजेंसियों के अधिकारी गैर कानूनी कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कलम बद्ध बयान जिसे अदालत में सील बंद कर पेश किया जाता है, वह बयान सत्ता से जुड़े लोगों ने मीडिया के दफ्तरों तक पहुंचाया तथा मीडिया ने कलम बद्ध बयान को जस का तस प्रस्तुत किया।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि कांग्रेस के कार्यकर्ता गिरीश देवांगन की याचिका के आधार पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा और आर्थिक अपराध शाखा के तीन अधिकारियों को 25 अक्टूबर को पेश होने का आदेश जारी किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री के आरोपों के अनुसार, दोनों ही जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने न्यायालयीन प्रक्रिया की अवहेलना की। कलमबद्ध बयान न्यायाधीश अपने सामने दर्ज करवाते हैं। लेकिन कोयला घोटाला एवं डीएमएफ घोटाला के आरोपी निखिल चंद्राकर के मामले में न्यायाधीश के सामने न्यायालय के कंप्यूटर पर पेन ड्राइव लगाकर जांच अधिकारियों ने अदालत को बताया कि यह निखिल चंद्राकर का कलम बद्ध बयान है। पेन ड्राइव में लिखे गए फेब्रिकेटेड बयान का प्रिंट आउट निकालकर आरोपी निखिल चंद्राकर का हस्ताक्षर करवाया गया है।

श्री बधेल के आरोपों के अनुसार, यह गैर कानूनी काम तब हुआ जब कथित कोयला घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने उच्चतम न्यायालय में जमानत याचिका लगाई। तिवारी की जमानत याचिका का विरोध करने वाले शासकीय अधिवक्ता ने निखिल चंद्राकर का कलमबद्ध बयान शीर्ष अदालत को उपलब्ध करवाया। यह बयान न्यायालयीन नियमों के मुताबिक, सील बंद लिफाफा में दिया जाता है। लेकिन निखिल चंद्राकर का फेब्रिकेटेड बयान जांच एजेंसियों और शासकीय अधिवक्ता ने उच्चतम न्यायालय में देने का दुस्साहस किया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि निखिल चंद्राकर का बयान न्यायालय में टाइप होने वाला फ़ॉन्ट नहीं था तथा इसी आधार पर अदालत ने आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के प्रमुख अमरेश मिश्रा, एडिशनल एसपी चंद्रेश ठाकुर एवं डीएसपी राहुल शर्मा को 25 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में पेश होने का नोटिस जारी किया है।

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