(जयंत राय चौधरी से)नयी दिल्ली , नवंबर 25 -- भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने कहा है कि बंगलादेश में शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद रूढ़िवादी ताकतें ज्यादा सक्रिय हुई हैं लेकिन इस बदलाव के लंबे समय तक बने रहने की संभावना नहीं है क्योंकि बंगलादेश का सामाजिक ताना-बाना स्वाभाविक रूप से उदार और शांतिप्रिय है।
पूर्व एयर चीफ मार्शल ने यूनीवार्ता को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि मौजूदा वैचारिक मंथन को सावधानी के साथ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने दृढ़ता से कहा, " बांग्लादेश के लोग स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष और शांतिप्रिय हैं। इसलिए रूढ़िवादिता की ओर यह रुझान अल्पकालिक होगा।"जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जैसे आतंकवादी समूहों का उदय और 1971 के बंगलादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले जमात-ए-इस्लामी की राजनीतिक वापसी ऐसे कुछ मुद्दे रहे हैं जिनसे पर्यवेक्षक चिंतित हैं।
पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान के बंगलादेश के साथ खुफिया और सैन्य सहयोग बढ़ाने के नए सिरे से किए जा रहे प्रयासों पर करीब से नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा ," पाकिस्तान अभी भी 1971 का बदला लेना चाहता है और इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।"एयर चीफ मार्शल ने कहा कि इसके बावजूद बांग्लादेश की जनता अभी भी पाकिस्तानी सेना द्वारा 1971 में किए गए नरसंहार को भूली नहीं है। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के प्रति भावनाएं इतनी नरम नहीं होंगी।' उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान और बंगलादेश की गठजोड़ बनाने की कोशिश को बंगलादेश की जनता से ही समर्थन नहीं मिलेगा।
पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और यहां तक कि वैवाहिक सहित सीमा-पार गहरे संबंध हैं और ये राजनीतिक घटनाक्रमों के बावजूद जारी रहेंगे। हालाकि उन्होंने भारत के लिए सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा," हमें खुफिया जानकारी जुटाने और पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा समर्थित विशिष्ट आतंकवादी समूहों को लक्षित करने के मामले में सक्रिय रहना होगा।"पूर्व सैन्य अधिकारी ने विश्वास व्यक्त किया कि बांग्लादेश की मूल पहचान क्षणिक राजनीतिक उथल-पुथल पर हावी रहेगी। उन्होंने दोहराया," मेरा मानना है कि बांग्लादेश स्वभाव से सहज रूप से धर्मनिरपेक्ष और शांतिप्रिय देश है।"पूर्व एयर चीफ मार्शल ने यह भी कहा कि ऐतिहासिक लाल किले के पास हुए बम विस्फोट के तुरंत पहले दिल्ली के पास विस्फोटक रसायनों के एक जखीरे का पता चलने से बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। उन्होंने कहा, " लाल किले पर हमला भारत में अस्थिरता पैदा करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा था, विशेष रूप से राजधानी के आसपास से बरामद किए गए रसायनों और विस्फोटक सामग्रियों को देखते हुए यह एक व्यापक साजिश की ओर इशारा करता है।"पूर्व सैन्य अधिकारी ने सरकार प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की आवश्यकता पर जोर देकर कहा ," हमें सरकार-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है। हमें भविष्य में भारतीय आर्थिक प्रतिष्ठानों का इस तरह के हमलों से बचाव करना होगा।" उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा आतंकवादी समूहों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य बना हुआ है।
पूर्व वायुसेना प्रमुख ने भू-राजनीतिक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए आतंकवाद-विरोधी अभियानों में बाहरी समर्थन पर निर्भर न रहने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा, " हमें आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में बाहरी मदद पर निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि अपने दम पर आगे बढ़ना चाहिए।"पूर्व एयर चीफ एयर मार्शल की टिप्पणी आतंकवाद के उभरते खतरों को रेखांकित करती हैं और इस बात पर जोर देती हैं कि खुफिया सतर्कता को बनाए रखने, आत्मनिर्भर आतंक-विरोधी क्षमता विकसित करने और एक नपा-तुला लेकिन दृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण अपनाए जाने की जरूरत है।
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