मुंबई, सात अक्टूबर (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारम ने मंगलवार को कहा कि नयी पीढ़ी के आनलाइन धोखेबाज साइबर सुरक्षा के घेरों को नहीं बल्कि लोगों के विश्वास के साथ छल कर के धोखा धड़ी कर रहे है जिसके लिए एआई (कृत्रिम बुद्धिमता) का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने इससे निपटने के लिए फिनटेक उद्योग से तत्परता से काम करने का आह्वान किया।
श्रीमती सीतारमण ने यहां ग्लोबल फिनटेक फेस्ट-2025 को संबोधित करते हुए कहा, ' धोखाधड़ी की नई पीढ़ी में अब फ़ायरवॉल नहीं तोड़ी जाती, बल्कि यह विश्वास तोड़ने का काम बन गया है। अपराधी आवाज़ों की नकल करने, पहचान का क्लोन बनाने और लोगों को प्रभावित करने वाले वास्तविक वीडियो बनाने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं।"वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद अपने कई डीपफेक (वास्तविक से लगने वाले जालसाजी के काम) वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होते देखे हैं, जिनमें नागरिकों को गुमराह करने और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए हेरफेर किया गया है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा, ' यह इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपनी सुरक्षा व्यवस्था को कितनी तत्परता से मजबूत करना होगा।" उन्होंने कहा , ' यह जानकर खुशी हो रही है कि सेबी ने नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ साझेदारी में पंजीकृत निवेशक-संबंधी मध्यस्थों के लिए एक समर्पित "वैलिट" यूपीआई हैंडल प्रस्तुत किया है, जिसमें ब्रोकरों के लिए अंत में .बीकेआर और म्यूचुअल फंडों के लिए .एमएफ जैसे शब्द जोड़े गए हैं ताकि निवेशकों को निशाना बनाकर छद्म पहचान और झूठे प्रतिनिधित्व के जरिए बढ़ती धोखाधड़ी से निपटा जा सके।'उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत से ज़्यादा निवेशकों और सभी म्यूचुअल फंडों को कवर करने वाले प्रमुख ब्रोकरों ने इस सुरक्षा प्रणाली को पहले ही अपना लिया है। " वैलिड" हैंडल प्रतिभूति बाज़ार में एक सत्यापित, सुरक्षित भुगतान चैनल स्थापित करता है, साथ ही मौजूदा भुगतान विकल्पों को बरकरार रखते हुए, उपयोगकर्ता की प्राथमिकताओं को प्रभावित किए बिना सुरक्षा और पहुँच में सुधार करता है।
इसके साथ ही सेबी ने "सेबी चेक" शुरू किया है, जिससे निवेशकों को वेब पोर्टल और सारथी ऐप के माध्यम से भुगतान शुरू करने से पहले यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस और आईएमपीएस में पंजीकृत मध्यस्थों की यूपीआई आईडी और बैंक खाता विवरण (खाता संख्या तथा आईएफएससी) सत्यापित करने की सुविधा मिलती है।
इस प्रणाली में गोपनीयता संरक्षण सत्यापन, सुरक्षित प्रसंस्करण, ऑडिट ट्रेल , चिह्नित विसंगतियों और उपयोगकर्ता रिपोर्टों द्वारा सूचित निरंतर सुधार के माध्यम से प्रौद्योगिकी के दायित्वपूर्ण उपयोग को मजबूत किया जाता है।
श्रीमती सीतारण ने यह भी कहा यह इस बात पर विचार करने का एक अच्छा अवसर है कि हम किस प्रकार का वित्तीय भविष्य बनाना चाहते हैं और वहाँ तक कैसे पहुँचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि फिनटेक को राजस्व वृद्धि, नवीन उत्पाद, लाभप्रदता, जोखिम और अनुपालन क्षमताओं जैसे मूलभूत सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
वित्तमंत्री ने विनियमन को लेकर शिकायत का नजरिया न अपनाने की सलाह देते हुए कहा, ' ज़िम्मेदारी भरा विनियमन प्रगति पर ब्रेक लाना नहीं है बल्कि यह सुरक्षित रूप से गति बढ़ाने के लिए एक सुरक्षा पेटी के समान है।" उन्होंने फिनटेक क्षेत्र से देश के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में बची हुई छोटी-छोटी कमियों को पूरा करने में मदद करने की अपील की।
उन्होंने एआई क्षेत्र के बारे में कहा कि कहा भारत वैश्विक एआई प्रतिभा में 16 प्रतिशत का योगदान देता है और प्रतिभा की आपूर्ति की दृष्टि से दुनिया के शीर्ष तीन बाजारों में से एक है। भारतीय सार्वजनिक जेन-एआई गीटा हब परियोजनाओं में दूसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं।अनुमान है कि एआई-सक्षम जीसीसी 2028 तक भारत के एआई सेवा बाजार के राजस्व में 30-35 प्रतिशत का योगदान देंगे।
इस प्रकार, भारत में विभिन्न एआई उत्पादों और सेवाओं के निर्माण का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत में 65 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं वाली विशाल आबादी को देखते हुए वित्तीय सेवा से आगे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, एमएसएमई, निर्यात आदि जैसे क्षेत्रों के लिए डिजिटल मॉडल बनाने चाहिए जिनका बड़ी आबादी के उपयोग के लिए विस्तार किया जा सके।
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