फलौदी, सितंबर 28 -- मंगोलिया, चीन और कजाकिस्तान से हजारों किलोमीटर का सफर तय करके अपने शीतकालीन प्रवास पर हर साल राजस्थान में फलौदी जिले के खीचन गांव में आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां ने यहां पड़ाव डाल दिया है लेकिन यहां स्थित चुग्गा घर अभी भी पक्षियों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया हैं।
रविवार सुबह चुग्गा घर में भी ये पक्षी उतर चुके हैं और चुग्गा गृहण किया। हालांकि चुग्गा घर में अभी सफाई चल रही हैं और दो-तीन दिन में सफाई पूरी होने पर यह इन पक्षियों के लिए पूरी तरह तैयार हो जायेगा।
जिला कलक्टर श्वेता चौहान ने बताया कि चुग्गा घर में साफ सफाई का काम तेजी से चल रहा है और शीघ्र ही इसे इन पक्षियों के लिए तैयार कर दिया जायेगा। खीचन के रामसर साइट घोषित होने के बाद इससे पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। जिला प्रशासन द्वारा इस संबंध में प्रस्ताव भेजा हुआ हैं। उन्होंने बताया कि खीचन में बर्ड रेस्क्यू सेंटर के बारे में भी प्रस्ताव भेजा हुआ हैं।
फलौदी उपखंड अधिकारी पूजा चौधरी ने बताया कि जिला कलक्टर के खीचन दौरे के बाद से इन पक्षियों के पड़ाव वाले स्थल चुग्गा घर एवं दो तालाबों पर साफ सफाई के काम में तेजी आई हैं और दो दिन में चुग्गा घर में सफाई का काम पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह विजय सागर एवं रातड़ी नाडी तालाब क्षेत्र में बबूल आदि की कटाई एवं साफ सफाई का काम चल रहा है और शीघ्र ही इसे पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि चुग्गा घर में ग्राम पंचायत के द्वारा साफ सफाई का काम किया जा रहा है।
इन प्रवासी पक्षियों की सेवा में लगे प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी एवं समाजसेवी सेवाराम माली ने बताया कि खीचन में बने चुग्गा घर की अभी सफाई नहीं हो पाई है लेकिन सुबह चुग्गा के लिए करीब 50 कुरजां ने चुग्गा घर में डेरा डाला। उन्होंने बताया कि इन पक्षियों के पहले जत्थे में करीब डेढ़ सौ कुरजां आई थी और शनिवार शाम को एक-दो दल इन पक्षियों के और आये है। उन्होंने बताया कि कुरजां के पहले जत्थे ने खीचन में आने के बाद उन्होंने तालाबों पर डेरा डाला और चुग्गा घर के चक्कर लगाती रही लेकिन चुग्गा घर की सफाई नहीं होने के कारण वे इसमें उतर नहीं पाई। हालांकि सप्ताह भर पहले केवल दो कुरजां चुग्गा घर में नजर आई।
उन्होंने कहा कि इन पक्षियों के दस्तक देने से पहले ही सितंबर के शुरू में ही चुग्गा घर इन पक्षियों के लिए तैयार कर लेना चाहिए लेकिन पर्यटन को बढ़ावा देने वाले इन पक्षियों के प्रति किसी का ध्यान नहीं है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार को रामसर साइट घोषित इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की जरुरत बताते हुए कहा कि पिछले कई वर्षों से खीचन में बर्ड रेसक्यू सेंटर का निर्माण नहीं हो पा रहा हैं। इसके लिए सरकार से राशि भी स्वीकृत हुई लेकिन काम नहीं हुआ।
उधर इन प्रवासी पक्षियों के यहां आने का सिलसिला शुरु हो जाने से अब इन पक्षियों को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों के भी आने का सिलसिला शुरु हो गया। हालांकि इन पक्षियों को बड़ी संख्या में एक साथ यहां स्थित चुग्गा घर में सुबह शाम चुग्गा चुगने के समय देखा जाता हैं और उस समय यहां देशी विदेशी सैलानियों की भीड़ लगा करेगी। इन प्रवासी पक्षियों के कारण खीचन गांव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है और गत पांच जून को खीचन को रामसर साइट भी घोषित किया गया था। सितंबर के शुरु से यहां इन पक्षियों के शीतकालीन प्रवास पर आने का सिलसिला शुरु हो जाता है और छह महीने के अपने प्रवास के बाद गर्मी के मौसम से पहले ये अपने वतन लौट जाती हैं।
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