गांधीनगर , अक्टूबर 13 -- प्राकृतिक खेती ने गुजरात में डांग की मंगीबेन को लखपति दीदी बनाया है।
सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि जब भी प्राकृतिक कृषि की बात होती है, एक अभियान का नाम अनायास ही जुबान पर आता है, वह है 'आपणुं डांग, प्राकृतिक डांग' यानी 'हमारा डांग, प्राकृतिक डांग।' इस अभियान के माध्यम से वर्ष 2021 में प्राकृतिक सौंदर्य से लकदक डांग जिले को संपूर्ण रूप से रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती वाला जिला घोषित किया गया था। तब से, यह पहल आदिवासी किसानों के जीवन में एक शानदार बदलाव लेकर आयी है।
इस बदलाव का चेहरा बनकर उभरी हैं आहवा जिले के धवलीदोड़ गांव की मंगीबेन, जो आज प्राकृतिक खेती अपनाकर लखपति दीदी बन गयी हैं। मंगीबेन का साहस से समृद्धि तक सफर दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणादायी बन गया है। मिशन मंगलम (एनआरएलएम) के तहत फील्ड को-ऑर्डिनेटर ने मंगीबेन को स्वयं सहायता समूह (एसएचओ) में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया था। डांग जैसे वन क्षेत्र और वहां की समृद्ध वन उपज के महत्व को समझते हुए मंगीबेन ने साहस जुटाकर एक नया उद्यम शुरू किया। डांग में उगाये जाने वाले श्रीअन्न नागली (रागी की एक किस्म) को बहुत ही पौष्टिक माना जाता है। इसके स्वास्थ्य लाभ और बाजार संभावनाओं को ध्यान में रखकर मंगीबेन ने नागली की खेती और प्रसंस्करण की दिशा में कदम बढ़ाया। उन्होंने अपने समूह के साथ मिलकर नागली से मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने की शुरुआत की।
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