नैनीताल, सितंबर 26 -- उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर स्थित प्रसिद्ध प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि पर खड़ी फसल की बिक्री राज्य सरकार की ओर से की जाएगी। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी।

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में हुई। याचिकाकर्ता मनोज नारायण अग्रवाल की ओर से दायर अपील में कहा गया कि सरकार ने प्राग फार्म को अपने कब्जे में ले लिया है। फार्म की भूमि पर फसल मोजूद है और फसल पर उनका अधिकार है।

सरकार की ओर से कहा गया कि वर्ष 1933 में ब्रिटिश सरकार के लीज सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने किच्छा तहसील की 12 गांवों की 5193 एकड़ भूमि प्राग नारायण अग्रवाल को 99 वर्ष की लीज पर दे दी थी।

वर्ष 1938 में प्राग नारायण अग्रवाल की मृत्यु के बाद भूमि उनके वारिस केएन अग्रवाल और शिव नारायण अग्रवाल के नाम हो गयी। आजादी के बाद महाराजपुर और श्रीपुर की भूमि विस्थापितों को आवंटित कर दी गयी। इसके पश्चात् वर्ष 1966 में गवर्नमेंट एस्टेट ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम के तहत लीज निरस्त कर दी गयी।

इस दौरान कुल 4034.03 एकड़ भूमि शेष रह गयी थी। इसमें से एक पक्षकार की 1972.75 एकड़ भूमि को वर्ष 2014 में सरकार अपने में निहित कर ली थी। शेष 1914 एकड़ भूमि को तीन नवंबर, 2022 में जिलाधिकारी न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार में निहित कर दी गयी।

उच्च न्यायालय (एचसी) में विशेष अपील के कारण भूमि पर कब्जा नहीं लिया जा सका था। विगत 13 अगस्त को एचसी ने अपील को खारिज कर दी। इसके बाद प्रशासन ने 1914 एकड़ भूमि को भी कब्जे में ले लिया।

सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि पर याचिकाकर्ता की ओर से फसल का दावा गलत है। उनका इस पर कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सरकार के नियंत्रण में है और सरकार स्वयं इसकी बिक्री करेगी। अंत में अदालत ने अपील खारिज करते हुए इस पर अपनी मुहर लगा दी।

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