रायपुर , नवंबर 30 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को पुलिस की सार्वजनिक छवि में सकारात्मक परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि युवाओं के बीच पुलिस के प्रति विश्वास और सहयोग बढ़ाने के लिए अधिक पेशेवर, संवेदनशील और उत्तरदायी दृष्टिकोण अपनाना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अटल नगर में आयोजित पुलिस महानिदेशक/पुलिस महानिरीक्षक (डीजीपी/आईजीपी) के 60वें अखिल भारतीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। तीन दिवसीय सम्मेलन का थीम 'विकसित भारत: सुरक्षा आयाम' रखा गया है।

श्री मोदी ने शहरी पुलिसिंग को मजबूत करने, टूरिस्ट पुलिस की भूमिका को पुनर्जीवित करने और नव-प्रवर्तित भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता बताई, जो अब उपनिवेशकालीन दंड कानूनों का स्थान ले चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस तथा प्रशासन को नेटग्रिड (एनएटीजीआरआईडी) से जुड़े डेटाबेस का अधिक प्रभावी उपयोग करने, इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़कर 'एक्शन योग्य इंटेलिजेंस' उत्पन्न करने और निर्जन द्वीपों के एकीकृत प्रबंधन जैसे नवाचारी मॉडल अपनाने का निर्देश दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को पुलिस जांच में फॉरेंसिक उपयोग पर केस स्टडी करने के लिए प्रोत्साहित करने की भी बात कही, ताकि आपराधिक न्याय प्रणाली और अधिक सशक्त हो सके।

उन्होंने प्रतिबंधित संगठनों की नियमित निगरानी प्रणाली स्थापित करने, वामपंथी उग्रवाद से मुक्त क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने और तटीय सुरक्षा को मजबूत करने हेतु नए मॉडल अपनाने की आवश्यकता दोहराई। प्रधानमंत्री ने कहा कि नशा-मुक्ति के लिए प्रवर्तन, पुनर्वास और सामुदायिक प्रयास-सभी को मिलाकर 'सम्पूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' अपनाना जरूरी है।

सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अनेक मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। विजन 2047 के लिए दीर्घकालीन पुलिसिंग रोडमैप, आतंकवाद एवं कट्टरपंथ के उभरते रुझान, महिलाओं की सुरक्षा में तकनीक की भूमिका, विदेशों में मौजूद भारतीय भगोड़ों को वापस लाने की रणनीतियाँ और प्रभावी जांच-प्रोसीक्यूशन के लिए फॉरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने पर चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री ने चक्रवात, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं-विशेषकर चक्रवात दित्वाह-की चुनौतियों को देखते हुए मजबूत तैयारी और बेहतर समन्वय की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि लोगों की जान बचाने और न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय योजना, वास्तविक समय समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया अनिवार्य है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पुलिस नेतृत्व से कहा कि देश विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए पुलिसिंग के तौर-तरीकों का पुनर्संरेखन और आधुनिकीकरण समय की मांग है।

सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक प्रदान किया। उन्होंने पहली बार शुरू किए गए अर्बन पुलिसिंग अवॉर्ड्स में देश के तीन उत्कृष्ट शहरों को भी सम्मानित किया।

सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह राज्य मंत्री, केंद्रीय गृह सचिव, सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के डीजीपी/आईजीपी, सीएपीएफ और केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख उपस्थित हुए, जबकि विभिन्न रैंक के 700 से अधिक अधिकारी देशभर से वर्चुअली जुड़े।

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