नयी दिल्ली , नवम्बर 29 -- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगले महीने होने वाली बहुप्रतीक्षित भारत यात्रा से पहले रूसी संसद के निचले सदन स्टेट डूमा में भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मंजूरी दिए जाने की पूरी संभावना है। श्री पुतिन 23 वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए चार से पांच दिसम्बर तक भारत की दो दिन की यात्रा पर आ रहे हैं।
दोनों देशों के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक्स समर्थन समझौते (आरईएलओएस) को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही है। इसका उद्देश्य लंबे समय सेचले आ रहे रणनीतिक सैन्य सहयोग को और सुदृढ़ करना है।
इस समझौते पर गत 18 फरवरी को मास्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन रक्षा उप मंत्री अलेक्ज़ेंडर फोमिन ने हस्ताक्षर किये थे।
रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी इतर तास के अनुसार रूसी सरकार ने स्टेट डूमा में इस समझौते के अनुमोदन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इस समझौते में दोनों देश एक-दूसरे की भूमि पर सैन्य कर्मियों, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की पारस्परिक तैनाती की प्रक्रिया को निर्धारित किया गया है।
समाचार एजेन्सी के अनुसार इस प्रस्ताव में रूस और भारत के बीच उस समझौते को मंजूरी देने की बात कही गयी है जिसके तहत रूसी सैन्य इकाइयों, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती भारतीय ठिकानों पर और भारत की सैन्य इकाइयों, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती रूसी ठिकानों पर की जा सकती है साथ ही उन्हें तकनीकी और लॉजिस्टिक सहयोग भी प्रदान किया जाएगा।
प्रस्ताव के अनुसार सैन्य बलों को संयुक्त अभ्यासों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों, मानवीय सहायता, आपदा राहत तथा दोनों पक्षों द्वारा सहमत अन्य परिस्थितियों में भेजा जा सकता है। रूसी सरकार का मानना है कि इस दस्तावेज़ के अनुमोदन से भारत और रूस के बीच सैन्य क्षेत्र में सहयोग और मजबूत होगा।
उल्लेखनीय है कि भारत इससे पहले अमेरिका के साथ भी इसी तरह का समझौता कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि भारत और रूस के बीच सशक्त रक्षा साझेदारी है जिसे नियमित त्रि-सेवा अभ्यास इन्द्र और कई उच्च-स्तरीय संयुक्त सैन्य कार्यक्रमों जैसे ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल परियोजना, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) कार्यक्रम, और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान कार्यक्रमों से मजबूती मिल रही है।
भारतीय सेनाओं के पास रूसी मूल के अनेक प्लेटफॉर्म जिनसे दोनों देशों के बीच दशकों पुराने घनिष्ठ सहयोग का पता चलता है। इनमें एस- 400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली, मुख्य युद्धक टैंक टी- 90 , विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा ए के-203 असॉल्ट राइफल शामिल हैं।
इसके अलावा, भारत मेक इन इंडिया पहल के तहत 200 कामोव केए -226 हेलीकॉप्टरों का विनिर्माण करने जा रहा है जो द्विपक्षीय सैन्य-प्रौद्योगिकी सहयोग को और मजबूत करता है।
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