चंडीगढ़ , दिसंबर 21 -- चंडीगढ़ के पीजीआई में 1.14 करोड़ रुपये के प्राइवेट ग्रांट सेल घोटाले की परतें अब तेजी से खुलती जा रही हैंजांच में सामने आया है कि यह फर्जीवाड़ा केवल एक विभाग तक सीमित नहीं था, बल्कि इससे पहले भी सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में करोड़ों रुपये की अनियमितताएं की जा चुकी थीं।
अधिकारियों के अनुसार आयुष्मान भारत और हिमकेयर योजना में हुए घोटालों का मास्टरमाइंड भी वही व्यक्ति था, जिसने पीजीआई के प्राइवेट ग्रांट सेल में बड़ा खेल किया।
जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि घोटाले का मुख्य आरोपी दुर्लभ कुमार अपने कुछ साथियों और पीजीआई के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह पूरा नेटवर्क चला रहा था। आरोप है कि उसने डॉक्टरों और विभागाध्यक्षों की फर्जी मुहरें बनवाकर अमृत फार्मेसी से महंगी दवाएं मुफ्त में निकलवाईं। इन दवाओं का उद्देश्य जरूरतमंद मरीजों को लाभ पहुंचाना था, लेकिन इन्हें अवैध रूप से बाजार में बेच दिया गया।
बताया जा रहा है कि आरोपी इन दवाओं को चंडीगढ़ के नामी केमिस्टों को 10 से 20 प्रतिशत कम कीमत पर सप्लाई करता था, जिससे उसे मोटा मुनाफा होता था। इस पूरे मामले में पीजीआई के कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आई है। फिलहाल जांच एजेंसियां सभी पहलुओं की गहनता से जांच कर रही हैं और अन्य आरोपियों की भूमिका को भी खंगाला जा रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित