गांधीनगर, सितंबर 30 -- स्टोन आर्टिसन पार्क प्रशिक्षण संस्थान (एसएपीटीआई) गुजरात की पत्थर कला एवं वास्तुकला की विरासत को आगे ले जा रहा है।

सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि नयी पीढ़ी का कौशल विकास देश की जरूरत है और आत्मनिर्भर भारत की नींव है। इसी दिशा में गुजरात सरकार के उद्योग एवं खनन विभाग और भूविज्ञान एवं खनन आयुक्त कार्यालय, गांधीनगर द्वारा स्थापित स्टोन आर्टिसन पार्क प्रशिक्षण संस्थान, राज्य की स्टोन इण्डस्ट्री कला की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने का काम कर रहा है और साथ ही पत्थर कला एवं वास्तुकला की विरासत को भी आगे ले जा रहा है।

यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'विकसित भारतएट2047' के विजन और 'विकास भी, विरासत भी' के लक्ष्य के अनुरूप है। स्टोन आर्टिसन पार्क प्रशिक्षण संस्थान का उद्देश्य गुजरात की पत्थर उद्योग की पूरी क्षमता का उपयोग करना और इसकी समृद्ध कला एवं वास्तुकला को सशक्त बनाना है। इस लक्ष्य को पाने के लिए राज्य सरकार ने दो आर्टिसन पार्क बनाये हैं, जिनमें से एक अंबाजी (बनासकांठा जिला) में और दूसरा ध्रांगध्रा (सुरेंद्रनगर जिला) में स्थित है। एसएपीटीआई अंबाजी मार्बल के लिए समर्पित है जबकि एसएपीटीआई-ध्रांगध्रा सैंडस्टोन पर काम करता है।

स्टोन आर्टिसन पार्क प्रशिक्षण संस्थान (एसएपीटीआई) में 2022 से 2025 के बीच अपने दोनों केंद्रों में कुल 945 उम्मीदवार नामांकित हुये हैं। तीस अगस्त 2025 तक, अंबाजी केंद्र से कुल 307 उम्मीदवार सफलतापूर्वक स्नातक हो चुके हैं। इसी प्रकार, ध्रांगध्रा केंद्र से 331 उम्मीदवार सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। यह आंकड़े गुजरात में कौशल विकास और रोजगार सृजन में एसएपीटीआई की सफलता को दर्शाते हैं।

छात्र से कुशल पत्थर शिल्पी तक अंबाजी के एक युवा छात्र, कुलदीप सिंह प्रविन सिंह राठौड़, ने 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद एसएपीटीआई अंबाजी में स्टोन क्राफ्ट एवं डिज़ाइन कोर्स में प्रवेश लिया। साधारण परिवेश से आने वाले कुलदीप सिंह के परिवार में उनके माता-पिता और दो भाई थे, और उनके परिवार की आय मात्र कुछ हजार रुपये थी। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, कुलदीप सिंह ने अपने भविष्य को बेहतर बनाने का सपना देखा। प्रशिक्षण की शुरुआत में, उन्हें उन्नत डिज़ाइन विधियों और पत्थर नक्काशी तकनीकों को अपनाने में कठिनाई हुई लेकिन लगातार अभ्यास और एसएपीटीआई के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों का मार्गदर्शन और मजबूत इच्छाशक्ति ने उनकी इस कला को निखारा।

इस यात्रा के दौरान, कुलदीप सिंह न केवल एक कुशल पत्थर शिल्पी और लेथ मशीन ऑपरेटर बने, बल्कि अपने खुद के पत्थर बिक्री व्यवसाय की भी शुरुआत की। आज वह व्यक्तिगत रूप से सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं, जिससे उनके परिवार को आर्थिक स्थिरता मिली है। भविष्य में, वह अपने व्यवसाय को एक स्टोन क्राफ्ट स्टूडियो में विस्तारित करने का सपना देखते हैं, जहां वे रचनात्मकता, पारंपरिक शिल्प और आधुनिक डिज़ाइन का समन्वय करेंगे। उनका विश्वास है। "कड़ी मेहनत और समर्पण, सबसे कठिन चुनौतियों को भी अवसर में बदल सकते हैं।"हाल ही में एसएपीटीआई द्वारा आयोजित सातवीं संगोष्ठी 'एकता शिल्प' 20 जुलाई से आठ अगस्त 2024 तक स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, एकता नगर, केवडिया में सम्पन्न हुई है। इस आयोजन में पूरे भारत से 24 मूर्तिकारों ने अलग-अलग प्रकार के पत्थरों से मार्बल की मूर्तियां बनायीं, जिसमें 48 नक्काशीकारों ने उनका सहयोग किया। इन मूर्तियों में एकता, प्रकृति और जल के विषय को दर्शाया गया और इसमें पारंपरिक तथा आधुनिक पत्थर कला दोनों का संगम दिखा।

प्रधानमंत्री ने इस संगोष्ठी के दौरान तराशी गयी 16 मूर्तियों को जनता को समर्पित किया। यह संगोष्ठी न केवल एसएपीटीआई को पत्थर शिल्प कला का एक केंद्र स्थापित करने में सहायक रही, बल्कि भारत की पत्थर कला की सराहना और जागरूकता को भी बढ़ाया। एसएपीटीआई का उद्देश्य देश की पत्थर शिल्प परंपराओं को संरक्षित और सशक्त बनाना है, जिसके लिए यह कौशल विकास, शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है। यह पहल उत्तर गुजरात (महेसाणा) में आगामी वाइब्रेंट गुजरात क्षेत्रीय सम्मेलन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो नौ-दस अक्टूबर को आयोजित किया जायेगा। इस कार्यक्रम के पहले दिन श्रम, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग द्वारा एक विशेष कार्यशाला का आयोजन भी किया जायेगा।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित