फगवाड़ा, सितंबर 30 -- दुनिया भर के हिन्दू मंदिरों और घरों में गायी जाने वाली 'ओम जय जगदीश हरे' आरती के रचयिता और हिंदी उपन्यासकार पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी की 188वीं जयंती पंजाब स्थित उनके गृह नगर फिल्लौर में मंगलवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी।
लुधियाना और जालंधर में भी उनकी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। सैकड़ों नागरिकों ने बस स्टैंड के पास स्थित पंडित शारदा राम फिल्लौरी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद फिल्लौर मंदिर में एक धार्मिक समागम का आयोजन किया गया, जहां सैकड़ों श्रद्धालुओं ने फिल्लौरी को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धालुओं ने कीर्तन और भजन प्रस्तुत किये। आज कई स्थानों पर लंगर का भी आयोजन किया गया।
फिल्लौरी का जन्म 30 सितंबर, 1837 को फिल्लौर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका विवाह एक सिख लड़की मेहताब कौर से हुआ था। उन्होंने गुरुमुखी के अलावा हिंदी, संस्कृत, फ़ारसी, ज्योतिष और संगीत की शिक्षा भी ली थी।
पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी प्रसिद्ध विद्वान, प्रचारक, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और हिंदी के शुरुआती उपन्यास भाग्यवती के रचयिता थे। दुनिया भर में जहां कहीं भी हिन्दू मंदिर स्थापित किया गया है, वहां रोजाना सुबह-शाम 'ओम जय जगदीश हरे' की आरती गूंजती है। बहुत कम लोगों को यह पता है कि इस आरती के रचयिता श्रद्धाराम फिल्लौरी जालंधर में फिल्लौर के रहने वाले थे।
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