चंडीगढ़ , नवंबर 27 -- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में, पंजाब सरकार द्वारा गुरु साहिब के जीवन और दर्शन से हटकर राजनीति करने को गुरमत की बेअदबी और मर्यादा का उल्लंघन बताया है।

चंडीगढ़ में गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री लालपुरा ने कहा कि 'तिलक जंजू दे राखे' गुरु तेग बहादुर ने मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया था, लेकिन इस विशेष दिवस पर 'आप' सरकार ने शहादत के मूल संदेश, गुरु साहिब के जीवन, दर्शन, धार्मिक स्वतंत्रता, मानव अधिकार और अत्याचारों के विरुद्ध डटकर खड़े होने के इतिहास की चर्चा करने की बजाय राजनीतिक तीर चलाने को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि मान सरकार ने इस सत्र को "राजनीतिक बयानबाज़ी का मंच" बना दिया और इस महत्वपूर्ण अवसर की गरिमा को ठेस पहुंचाई।

श्री लालपुरा ने कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को 'अज्ञानी' बताया और कहा कि समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शामिल न होने संबंधी बयान देने वाले अरोड़ा के पास "तथ्यों का कोई आधार नहीं" है। उन्होंने कहा कि शहीदी दिवस के अवसर पर अरोड़ा द्वारा दिये गये बयानों से स्पष्ट होता है कि उन्हें गुरबाणी, गुरुघर और इतिहास की कोई समझ नहीं, और उनकी यह अज्ञानता बेनकाब हो गयी है।

उन्होंने कहा कि श्री मोदी सिख धर्म के प्रसार और गुरु परंपरा के सम्मान के लिए निरंतर कार्य करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्री मोदी पहले भी दिल्ली 'सीस गंज साहिब' में शहादत दिवस के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं, पटना साहिब में विशेष रूप से उपस्थित हुए और कई मौकों पर गुरु तेग बहादुर साहिब जी की कृपा एवं बलिदान को याद किया है। उन्होंने कहा कि मान सरकार को प्रधानमंत्री की उपस्थिति पर गलत बयानबाज़ी करने की बजाय यह समझना चाहिए कि शहादत दिल्ली में हुई थी और पवित्र शीश कुछ दिनों बाद आनंदपुर साहिब लाया गया था। दोनों स्थानों पर कार्यक्रम होना सम्मान की बात होती, लेकिन "आप" सरकार ने इतिहास की जानकारी के अभाव में इस तथ्य को अनदेखा किया।

श्री लालपुरा ने कहा कि 350वें शहीदी दिवस के विशेष सत्र में "आप" ने सिर्फ राजनीतिक मुद्दों पर बात की, जबकि गुरु साहिब की बाणी, जीवन-दर्शन और मानवता को दिये संदेश पर एक बार भी गंभीरता से चर्चा नहीं की गयी।

उन्होंने कहा कि ऐसा रवैया न तो संगत को स्वीकार है और न ही यह गुरुघर की मर्यादा के अनुरूप है।

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