चंडीगढ़ , नवंबर 29 -- पंजाब रोडवेज़, पनबस और पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (पीआरटीसी) के संविदा कर्मचारियों ने दूसरे दिन भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिससे राज्य के कुछ हिस्सों में बस सर्विस शनिवार को भी प्रभावित रहीं। कर्मचारियों ने किलोमीटर-आधारित बस योजना से जुड़ी निविदा खोलने के खिलाफ शुक्रवार को हड़ताल शुरू की थी।

पंजाब रोडवेज़, पनबस और पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के कई नेताओं को पुलिस ने गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने के बाद कर्मचारी हड़ताल पर चले गये थे। यूनियन ने पहले किलोमीटर-आधारित बस योजना के तहत टेंडर खोलने के विरोध और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की थी। उनका दावा था कि यह प्राइवेट बसों को लाने और सरकारी ट्रांसपोर्ट सिस्टम को खत्म करने की एक पिछले दरवाजे से कोशिश है, जिससे प्राइवेट ऑपरेटर सरकार द्वारा बताये गये रूट पर बसें चला सकें। उनके विरोध प्रदर्शन से पहले, कई यूनियन नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिसके बाद पंजाब में कई जगहों पर अफरा-तफरी मच गयी, क्योंकि विरोध कर रहे कर्मचारियों की पुलिस से झड़प हो गयी। संगरूर में, शुक्रवार को विरोध तब हिंसक हो गया, जब कुछ कर्मचारी, जो बसों पर चढ़ गये, उन्होंने उन पुलिस वालों पर पेट्रोल छिड़क दिया जो उन्हें नीचे उतारने की कोशिश कर रहे थे। धुरी स्टेशन हाउस ऑफिसर की वर्दी में आग लगने से वह जल गये। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया है। विरोध करने वालों ने कहा कि उनके कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया और उन्होंने पुलिस कार्रवाई की निंदा की।

पनबर जालंधर-2 के डिपो प्रबंधक ने शनिवार को पीआरटीसी यूनियन जालंधर के दोनों अध्यक्षों सतपाल सिंह और बिक्रमजीत सिंह की सेवायें तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। डिपो प्रबंधक ने दोनों कर्मचारियों को ई-मेल के माध्यम से उक्त आदेश भेज कर कहा कि उन्होंने मुख्य कार्यालय द्वारा शुक्रवार को पत्र जारी कर आउटसोर्स /संविदा कर्मचारियों की हड़ताल को गैर कानूनी घोषित किया था। पत्र में कहा गया है कि दोनों कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होकर आदेश का उल्लंघन किया है और इसके कारण डिपो को हजारों रुपये का नुकसान पहुंचा है।

सतपाल सिंह ने बताया कि डिपो प्रबंधक ने उन्हें ई-मेल द्वारा उक्त आदेश प्रेषित किये हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, हड़ताल जारी रहेगी।

होशियारपुर में पनबस कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संदीप सिंह ने आरोप लगाया कि उनके चार नेता - राज्य समिति सदस्य कुलवंत सिंह, ज़िला अध्यक्ष रमिंदर सिंह, सचिव नरिंदर सिंह और कैशियर धरमिंदर सिंह- अभी भी पुलिस हिरासत में हैं। उन्होंने कहा, " जब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाता, किलोमीटर स्कीम के टेंडर रद्द नहीं किये जाते और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को नियमित नहीं किया जाता, तब तक हमारा धरना और हड़ताल जारी रहेगी।"उन्होंने कहा, " पिछले चार सालों में सरकार ने पंजाब रोडवेज को एक भी नयी बस नहीं दी है। 500 से ज़्यादा पुरानी बसें सड़क से गायब हो चुकी हैं और जो चल रही हैं, उनकी मरम्मत में भी बड़ी दिक्कतें आ रही हैं। विभाग के पास टायरों और ज़रूरी मरम्मत के लिए भी पैसे नहीं हैं।"श्री सिंह ने कहा कि यदि सरकार ने वर्षगांठ मनाने पर भारी धनराशि खर्च करने के बजाय बस बेड़े को मजबूत करने के लिए धनराशि का उपयोग किया होता, तो बसों की स्थिति में सुधार होता और जनता को लाभ होता।

लुधियाना में शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने उनके खिलाफ पुलिस एक्शन की कड़ी निंदा की। उन्होंने मांग की, " सरकार को हमारी मांग मान लेनी चाहिए और हिरासत में लिए गये कर्मचारियों को रिहा कर देना चाहिए।" यूनियन नेताओं और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि यह पॉलिसी प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टरों का पक्ष लेती है और इससे राज्य के ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हजारों लोगों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी।

इस बीच, प्रोटेस्ट के कारण बस सर्विस में रुकावट आने से यात्रियों को परेशानी हुई। सरकारी बसें सड़कों से नदारद होने से यात्रियों को प्राइवेट ऑपरेटरों पर निर्भर रहना पड़ा। महिला यात्री, जो आमतौर पर सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा करती हैं, ने कहा कि सरकारी सर्विस न होने की वजह से उन्हें प्राइवेट बसों में टिकट खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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