जालंधर , अक्टूबर 12 -- भारतीय क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपीआई) और भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी-यूनाइटेड (एमसीपीआई-यू) की 'कम्युनिस्ट समन्वय समिति' (सीसीसी) 15 अक्टूबर को जातिवादी, लैंगिक उत्पीड़न तथा भेदभाव की विचारधारा के विरोध में गाँवों/शहरों में प्रदर्शन करेगी।
यह निर्णय गणेशपुरी, जिला ठाणे (महाराष्ट्र) में आयोजित दोनों दलों की केंद्रीय समितियों की संयुक्त बैठक में लिया गया। आरएमपीआई के महासचिव कामरेड मंगत राम पासला और एमसीपीआई-यू के महासचिव कामरेड एम. अशोक ओंकार ने रविवार को यहाँ जारी एक संयुक्त वक्तव्य के माध्यम से उपरोक्त जानकारी दी।
पासला और अशोक ने कहा है कि उपरोक्त विरोध प्रदर्शनों के दौरान, सामाजिक न्याय की प्राप्ति और उनके सम्मान की रक्षा के लिए देश भर में दलितों और महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई जाएगी। उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति द्वारा जूता फेंकने की घटना और हरियाणा में तथाकथित उच्च जाति के अधिकारियों के जातिवादी व्यवहार से तंग आकर एक दलित आईपीएस अधिकारी द्वारा आत्महत्या करने की घटना को सामान्य अपराध नहीं माना जाना चाहिए। इसी प्रकार, तालिबान प्रतिनिधियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक महिला प्रतिनिधि को प्रवेश न देना और भारत की मोदी सरकार द्वारा इस व्यवहार के लिए उचित कार्रवाई न करना भी कोई छोटी बात नहीं है।
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