फगवाड़ा , नवंबर 28 -- राजपत्रित एवं अराजपत्रित एससी बीसी कर्मचारी कल्याण महासंघ (कपूरथला इकाई) ने पंजाब में फगवाड़ा की अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. अक्षिता गुप्ता के माध्यम से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को एक विरोध ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कर्मचारी समुदाय की लंबे समय से लंबित मांगों के प्रति पंजाब सरकार की कथित निरंतर उपेक्षा पर प्रकाश डाला गया है।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जिला अध्यक्ष सतवंत सिंह तूरा, मनजीत घाट, लखवीर चंद, ज्ञान चंद वाहद और दीपक सहगल ने किया। यह प्रदर्शन राज्य अध्यक्ष जसवीर सिंह पाल और पंजाब अध्यक्ष कुलविंदर बोदल के नेतृत्व में किया गया।
मीडिया से बात करते हुए, कर्मचारियों ने बताया कि फेडरेशन ने पंजाब सरकार को बार-बार ज्ञापन सौंपे हैं और कैबिनेट सब-कमेटी के साथ कई बैठकें की हैं। 250 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट, जिसे 'गंता रिपोर्ट' के नाम से जाना जाता है, पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव रमेश कुमार गंता द्वारा तैयार की गयी थी और मुख्यमंत्री और कैबिनेट सब-कमेटी को सौंपी गयी थी। हालांकि, कर्मचारियों का आरोप है कि इस रिपोर्ट पर न तो अमल किया गया है और न ही इसे सार्वजनिक किया गया है, जिससे पारदर्शिता और प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं।
फेडरेशन के 31 सूत्री मांगपत्र में 85वें संविधान संशोधन को जून 1995 से उसके मूल स्वरूप में लागू करना, कार्मिक विभाग द्वारा अक्टूबर 2014 में जारी 'असंवैधानिक' पत्र को वापस लेना, कंप्यूटर शिक्षकों को शिक्षा विभाग में विलय करना, मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को डीसी दरों के अंतर्गत लाना, केंद्र सरकार के वेतनमानों के अनुरूप महंगाई भत्ता जारी करना, सभी विभागों में बैकलॉग को समाप्त करना, 1972 के नियमों के अनुसार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना, जनसंख्या के आधार पर भर्ती और पदोन्नति में 40 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करना, 2024 में दूरस्थ क्षेत्रों में नियुक्त व्याख्याताओं को विशेष स्थानांतरण के अवसर प्रदान करना, महिला लाभार्थियों को 1,000 रुपये देने का वादा पूरा करना, समयबद्ध पदोन्नति को लागू करना, और एसीपी योजनाओं सहित कई बंद किये गये भत्तों को फिर से शुरू करना जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।
फेडरेशन ने छह दिसंबर को संगरूर में एक बड़े राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की भी घोषणा की है, जहां वे भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की योजना बना रहे हैं। नेताओं ने घोषणा की कि वे सरकार को 'जगाने' का इरादा रखते हैं, जिस पर उन्होंने आरोप लगाया कि वह कर्मचारियों की मांगों को हल करने के बजाय उन पर सो रही है।
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