नयी दिल्ली , अक्टूबर 14 -- उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ न्यायिक अधिकारियों के लिए पर्याप्त पदोन्नति के अवसरों से संबंधित विवाद मामले में 28-29 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायधीश न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मंगलवार इस मामले में संक्षिप्त सुनवाई के दौरान संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह 28-29 अक्टूबर इस मुद्दे पर तय करेगा कि क्या इसे किसी बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए?न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "हम इस मुद्दे पर भी विचार करेंगे - क्या इसे किसी बड़ी पीठ को भेजे जाने की आवश्यकता है।" उन्होंने संबंधित अधिवक्ताओं द्वारा यह जानकारी दिए जाने के बाद कि दो अन्य संविधान पीठें पहले ही इसी तरह के मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त कर चुकी हैं, ये टिप्पणी की।
पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने जानकारी साझा करते हुए कहा, "दो संविधान पीठों ने अपना विचार व्यक्त किया है। इसलिए हमें देखना होगा कि क्या पाँच न्यायाधीशों की पीठ इस पर विचार कर सकती है।" उन्होंने आगे कहा, "माननीय न्यायाधीश एक बड़ी पीठ गठित करने पर विचार कर सकते हैं क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया व्यर्थ नहीं जा सकती।"वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि मुख्य मुद्दों पर विचार करते हुए न्यायालय एक तथ्य-अन्वेषण समिति का गठन कर सकता है।
मुख्य न्यायाधीश ने अगली सुनवाई सुनवाई की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा, "चूँकि उच्च न्यायालयों को इस मामले में पक्षकार बनाया गया है, इसलिए वे आवश्यक जानकारी दे सकते हैं।"उन्होंने कहा, "उच्च न्यायालय भी एक पक्षकार हैं। उन्हें हमें सूचित करना होगा। उच्च न्यायालय में नियुक्त कुल सेवा न्यायाधीशों की संख्या - उनमें से कितने बार से और कितने ज़िला न्यायाधीशों से हैं।"न्यायमूर्ति गवई ने आगे कहा, "मुख्य प्रश्न यह है कि उच्च न्यायपालिका के संवर्ग में वरिष्ठता निर्धारित करने का कारक क्या है? कहने की आवश्यकता नहीं कि इसमें अन्य सहायक मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा।"मुख्य न्यायाधीश गवई की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने 7 अक्टूबर को संबंधित मामले पर सुनवाई के बाद उसे संविधान पीठ को भेज दिया दिया था।
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