जयपुर , दिसंबर 24 -- राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार पर उच्चत्तम न्यायालय के फैसले को दरकिनार कर अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में नए खनन पट्टे बांटने की प्रक्रिया जारी रखने का आरोप लगाया है।

श्री गहलोत ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि जहां केंद्र सरकार अरावली संरक्षण का दावा कर रही है वहीं राजस्थान की भाजपा सरकार न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव दावा कर रहे हैं कि उच्चत्तम न्यायालय के आदेश के अनुसार जब तक 'मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग' (एमपीएसएम) तैयार नहीं हो जाता, तब तक अरावली की 100 मीटर से ऊंची या नीची, किसी भी पहाड़ी पर नया खनन पट्टा नहीं दिया जाएगा लेकिन राजस्थान सरकार ने गत 14 नवंबर को नए खनन पट्टे जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जिसमें 50 पट्टे अरावली रेंज वाले नौ जिलों जयपुर, अलवर, झुंझुनूं, राजसमंद, उदयपुर, अजमेर, सीकर, पाली और ब्यावर के हैं। 20 नवंबर को आए न्यायालय के फैसले के बावजूद अरावली रेंज में आने वाले 50 खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया को नहीं रोका बल्कि 30 नवंबर को आदेश निकालकर प्रमाणित किया कि अरावली रेंज में आने के बावजूद ये 50 पट्टे अरावली का हिस्सा नहीं हैं।

श्री गहलोत ने सवाल उठाया कि जब न्यायालय ने स्पष्ट रूप से एमपीएसएमके बिना नए पट्टों पर रोक लगाई है, तो राजस्थान सरकार किस आधार पर नीलामी जारी रख रही है। सरकार ने उच्च न्यायालय में यह तर्क देकर दिसंबर में इन पट्टों की नीलामी कर दी की है कि ये पहाड़ 100 मीटर से नीचे हैं, इसलिए अरावली में नहीं आते जबकि उच्चत्तम न्यायालय का एमपीएसएम का फैसला 100 मीटर से ऊपर एवं नीचे दोनों की पहाड़ियों पर लागू होगा। यह न केवल न्यायालय के फैसले की मंशा के खिलाफ है बल्कि अरावली के अस्तित्व को मिटाने की एक बड़ी साजिश है।

उन्होंने कहा कि यह एक उदाहरण है कि आने वाले दिनों में न्यायालय के फैसले की आड़ कैसे तकनीकी रास्ते निकालकर पूरे अरावली में खनन का प्रयास किया जाएगा।

श्री गहलोत ने आरोप लगाया कि श्री यादव न तो 'केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति' (सीईसी) को कमजोर करने पर जवाब दे सके हैं और न ही सरिस्का के प्रोटेक्टेड एरिया में महज तीन दिन में किए गए बदलावों पर कोई सफाई दे पाए हैं।

उन्होंने कहा कि चूँकि मुख्यमंत्री स्वयं खनन मंत्री भी हैं, उन्हें प्रदेश की जनता को जवाब देना चाहिए कि "क्या वे उच्चत्तम न्यायालय के फैसले और अपने ही केंद्रीय मंत्री के बयानों के खिलाफ जाकर अरावली में बिना एमपीएसएम के नए पट्टे जारी करेंगे।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित